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प्रॉपर्टी पर लोन को कैसे सुरक्षित करें

सिक्योर्ड लोन होने के कारण यह बहुत ही अनुकूल शर्तों पर उपलब्ध होता है, क्योंकि लेंडर द्वारा प्रॉपर्टी के पेपर कोलैटरल के रूप में रखे जाते हैं.

प्रॉपर्टी पर लोन (एलएपी) एक प्रकार का सिक्योर्ड लोन होता है, जिसे लोन प्रदाता से उधार लिया जाता है. जैसे कि इसके नाम से ही पता लगता है कि यह लोन प्रॉपर्टी पर दिया जाता है, जो कि भौतिक या अचल (रेजिडेंशियल/कमर्शियल) होती है. लोन प्रदाता या लेंडर बैंक, एनबीएफसी या एचएफसी (हाउसिंग फाइनेंस कंपनी) हो सकते हैं.

इस लोन को प्राप्त करने के लिए एप्लीकेंट को अपनी प्रॉपर्टी कोलैटरल के रूप में मॉरगेज रखनी होती है. दिए जाने वाले लोन की राशि प्रॉपर्टी के वैल्यू पर आधारित होती है – जिसे आमतौर पर लोन टू वैल्यू कहा जाता है. विभिन्न मानकों के अनुसार, लोन एडवांस्ड, प्रॉपर्टी के मूल्य का लगभग 60% हो सकता है. इसके बाद इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट या ईएमआई के ज़रिए लोन का पुनर्भुगतान करना होता है. कार लोन, पर्सनल लोन इत्यादि – अन्य लोन की तुलना में - एलएपी की ब्याज दर (साथ ही साथ प्रोसीज़रल शुल्क) सबसे कम होती है.

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोन प्रदाता के लिए प्रॉपर्टी पर लोन एक प्रकार सिक्योर्ड लोन होता है, जिसमें वे आपकी प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट को कोलैटरल या सिक्योरिटी के रूप में अपने पास रखते हैं. अगर उधारकर्ता / कस्टमर किसी भी कारणवश या परिस्थिति के चलते भुगतान करने से चूक जाते हैं, तो प्रॉपर्टी के अधिकार लेंडर को ट्रांसफर किए जाते हैं.

इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ईएमआई का भुगतान हर महीने बिना किसी बाधा या विलंब के पूरा किया जाए. विलंब या भुगतान न करने के स्थिति में उधारकर्ता की क्रेडिट रेटिंग या स्कोर प्रभावित हो सकते हैं, इसके बाद उनके लिए किसी भी तरह का दूसरा लोन प्राप्त करना कठिन हो जाता है.

जरुर पढ़ा होगा: प्रॉपर्टी पर लोन बनाम पर्सनल लोन - कौन सा बेहतर है?

प्रॉपर्टी पर लोन लेने के लिए अप्लाई करते समय इन 6 बातों पर ध्यान देना है ज़रूरी

1. लोन की अवधि

पहला पॉइंट है लोन की अवधि. क्योंकि एलएपी सिक्योर्ड लोन होते हैं, इसलिए लेंडर आमतौर पर लंबी पुनर्भुगतान अवधि प्रदान कर सकते हैं, जो एप्लीकेंट की आयु, आय और अन्य पात्रता मानदंडों के आधार पर 20 वर्ष तक की हो सकती है.

2. लोन राशि

अगला पॉइंट लोन की राशि है. लोन प्रदाता के पास फिज़िकल एसेट की सिक्योरिटी होती है, इसलिए प्रॉपर्टी की वैल्यू के आधार पर बड़ी लोन राशि ऑफर की जा सकती है. हालांकि, इससे पहले लेंडर द्वारा ज़रूरी कार्रवाई के तहत प्रॉपर्टी की वैल्यू का मूल्यांकन किया जाएगा. इसके अलावा, लोन डिस्बर्स किए जाने से पहले एप्लीकेंट की आयु, इनकम, पिछले भुगतानों के इतिहास और क्रेडिट रेटिंग स्कोर इत्यादि पर भी विचार किया जाता है.

3. ब्याज दर

तीसरी चीज जो महत्वपूर्ण है वह है ब्याज दर. जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, एलएपी ब्याज दरें अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में कम होती हैं. लोन जितना अधिक सिक्‍योर होता है, ब्याज दरें उतनी ही कम होती हैं और इसके विपरीत होने पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं. जहां आर्थिक नुकसान का जोखिम कम होता है, वहां लेंडर कम ब्याज दरें ऑफर कर सकते हैं.

4. प्रोसेसिंग में लगने वाला समय

चौथा पॉइंट लोन की प्रोसेसिंग में लगने वाला समय है. जहां पर्सनल लोन कुछ दिनों में प्रोसेस किया जा सकता है, वहीं, एलएपी में समय लगता है, क्योंकि लेंडर को प्रॉपर्टी और उसके डॉक्यूमेंट की सही तरीके से जांच-पड़ताल करने की ज़रूरत होती है. इसकी वर्तमान मार्केट वैल्यू को निर्धारित करने के लिए प्रॉपर्टी की कीमत का मूल्यांकन भी किया जाता है. इन ज़रूरी कार्रवाईयों की वजह से लोन प्रोसेस का कुल समय बढ़ जाता है.

जरुर पढ़ा होगा: प्रॉपर्टी पर लोन लेने से पहले इन बातों पर आपको ज़रूर ध्यान देना चाहिए

5. पात्रता

पांचवा पॉइंट एक ऐसे लेंडर की तलाश करना है, जो अधिकतम लोन राशि ऑफर करने के साथ कस्टमाइज़्ड पात्रता प्रोग्राम प्रदान कर सके. ऐसे लेंडर को लोन डिस्बर्सल के बाद क्वालिटी सर्विसेज़ ऑफर करने की स्थिति में भी होना चाहिए, क्योंकि संबंध 20 वर्षों तक जारी रह सकता है. इन सेवाओं में डिजिटल सुविधा भी शामिल होनी चाहिए, जिससे सुविधाजनक, तुरंत और बेहतर अनुभव मिल सके.

6. लोन राशि के लिए इंश्योरेंस कवर

अंत में, लोन प्रदाता के पास राइडर के रूप में लोन राशि के इंश्योरेंस कवर के ज़रिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने में भी सक्षम होना चाहिए, क्योंकि इससे, किसी भी अप्रत्याशित या दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उधारकर्ता और उसके परिवार की सुरक्षा होती है.

संक्षेप में, प्रॉपर्टी पर लोन के लाभों में कम ब्याज दरें, अधिकतम लोन राशि, अधिक सुविधाजनक, पुनर्भुगतान के लिए लंबी अवधि, इंश्योरेंस कवर और लोन मिलने के बाद बेहतरीन सर्विसेज़ शामिल हैं.

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