कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व
परिचय
पहल फाउंडेशन
पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस का उद्देश्य समाज के वंचित समुदायों तक पहुंचना और उनके लिए ऐसे प्रोजेक्ट डिलीवर करना है, जो उनकी बेहतरी और बढ़ोत्तरी के लिए उपयुक्त समाधान प्रदान करते हैं, ताकि अधिकतम लोग इससे लाभान्वित हो पाएं. पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस के सीएसआर के तहत पहल फाउंडेशन एक माध्यम की तरह कार्य करता है, जिसका उद्देश्य बनाए गए सीएसआर प्रोग्राम को कार्यान्वित करना तथा इसे और बेहतर बनाना है. यह समाज के वंचित वर्गों के विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में हमारे निरंतर 'प्रयास' और 'पहल' को दर्शाता है. व्यापक रूप से, हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है.
एफवाई 2019-20 में, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड ने ‘पहल फाउंडेशन’ की स्थापना की’. यह सीएसआर प्रोग्राम को कार्यान्वित करने और मज़बूत बनाने का एक माध्यम है. यह समाज के वंचित वर्गों के विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में हमारे निरंतर 'प्रयास' और 'पहल' को दर्शाता है. व्यापक रूप से, हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है.
पीएनबी हाउसिंग
सीएसआर से जुड़ी गतिविधियां
महिला सशक्तिकरण के ज़रिए हम यह चाहते हैं कि समाज के वंचित वर्गों से आने वाली महिलाओं की समग्र रूप से वृद्धि और विकास हो. हमारा लक्ष्य यह है कि इन महिलाओं की इनकम का स्तर बढ़े, इसके लिए हम उन्हें फाइनेंशियल रूप से स्वतंत्र और आत्मविश्वासी बना रहे हैं, साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य व स्वच्छता के संबंधित विषयों पर ध्यान भी केंद्रित कर रहे हैं.
हमारे द्वारा सहायता प्राप्त/शुरू किए गए महिला सशक्तिकरण प्रोजेक्ट इस प्रकार से हैं:
- a. पिछले फाइनेंशियल वर्ष में दो नैपकिन मैन्युफेक्चरिंग यूनिट स्थापित किए गए. एक की स्थापना लखनऊ में की गई और दूसरी गुजरात के वलसाड में स्थापित की गई. आसपास के गांवों की 64 महिलाएं वर्तमान में नैपकिन के प्रोडक्शन, पैकेजिंग और इनकी बिक्री का काम करती हैं. ये महिलाएं अपने-अपने गांवों में उन ग्रामीण महिलाओं के लिए जागरूकता सत्र भी आयोजित करती हैं, जिनमें माहवारी के दौरान स्वच्छता को लेकर जागरूकता की कमी है, जिससे उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुंच रहा है. इनका लक्ष्य 200 गांवों की ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचना है.
- b. मसाले और अचार के प्रोडक्शन के लिए तीन यूनिट स्थापित किए गए हैं, जिनमें 115 ग्रामीण महिलाएं इसके प्रोडक्शन, पैकेजिंग और बिक्री से जुड़ी हैं. इस सेट अप को चलाने वाली सभी महिलाओं को स्वयं-सहायता के लिए तैयार किया गया है. इनके द्वारा अर्जित किए जाने वाले लाभ को बिज़नेस बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है और अन्य सदस्यों के बीच इसे वितरित किया जाता है.
- c. ‘जीवन की बेहतर गुणवत्ता’ के लक्ष्य के साथ, इस प्रोजेक्ट को यह ध्यान में रखकर बनाया गया कि इससे प्रवासी लोगों की उस जनसंख्या को लाभ पहुंचेगा, जो कोविड से बुरे तरीके से प्रभावित हुए हैं. इस प्रोजेक्ट में ऐसी 150 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, जो कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले वर्ग से आती थीं और आगे जाकर उन्हें फैशन इंडस्ट्री में काम दिया गया. इस एडवांस ट्रेनिंग में उनके लिए विशेष सिलाई मशीनें जापान से आयात की गईं, जिन पर महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और काम शुरू करने से पहले उन्होंने इस पर प्रैक्टिस की. औसत रूप से इस इंडस्ट्री में काम करने वाली एक महिला प्रति माह ₹10,000 कमा रही है.
- d. 4 अलग-अलग बिज़नेस के लिए 420 बधिर महिलाओं के साथ मिलकर स्किल डवलपमेंट योजना तैयार की गई. ये व्यवसाय हैं – मिक्सर ग्राइंडर रिपेयर करना, एलइडी रिपेयर करना, मोबाइल रिपेयर करना और इलेक्ट्रिकल काम. प्रशिक्षण के बाद ये महिलाएं किसी विशेष व्यापार के लिए कुशल हो जाएंगी, जिससे कि आगे चलकर वे फाइनेंशियल रूप से स्वतंत्र बनने में सक्षम हो जाएंगी.
- e. ओडिशा के भुवनेश्वर के LV प्रसाद आई हॉस्पिटल में काम करने वाली महिलाओं के बच्चों (जिनकी आयु 10 वर्ष तक है) की देखभाल के लिए पालना घर बनाए गए. इस पहल के कारण महिलाएं खुद को सशक्त महसूस करने लगीं, क्योंकि अब वे काम और परिवार के बीच किसी एक को चुनने की चिंता से मुक्त हो गईं. इस पहल के बाद कुछ महिला कर्मचारी काम पर वापस आ रही हैं, जिन्होंने पहले काम छोड़ दिया था.
- f. राजस्थान के गांवों में 120 ग्रामीण महिलाओं के लिए 7 ग्रामीण केंद्रों में स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. इन महिलाओं ने 6 महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और इसके बाद प्रोजेक्ट के ज़रिए उन्हें लूम्स में काम करने का मौका मिला. इसके अलावा, वे अब कालीन बेचती हैं और कालीन बनाने के क्षेत्र में बढ़िया लाभ कमाती हैं.
हमारे लिए स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण विषय है, हम निरंतर ऐसे प्रोजेक्ट बनाते हैं जो यह विश्वास दिलाते हैं कि हम वंचित समुदाय के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदान करेंगे, स्वास्थ्य संबंधी एडवांस इन्फ्रास्ट्रक्चर पेश करेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं तक इनकी पहुंच को आसान बनाएंगे.
हमारे द्वारा सहायता प्राप्त/ शुरू किए गए सीएसआर प्रोजेक्ट इस प्रकार से हैं:
- a.इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से बेहतर बनाने के लिए 6 पीएचसी (प्राइमरी हेल्थ सेंटर)/सीएचसी (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर) को सहायता प्रदान की गई. इनमें से कुछ केंद्रों में कई मेडिकल और लैब इक्विपमेंट लगाए गए, जैसे कि एडवांस लैबोरेटरीज़ और टेस्टिंग मशीनें इत्यादि.
- b. 2 सरकारी अस्पतालों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपडेट करने के साथ, इन्हें कई मेडिकल और लैब इक्विपमेंट्स की सहायता भी प्रदान की गई. इनमें से एक (ससून जनरल अस्पताल, पुणे) में 4000 ओपीडी मरीज़ों और 1500 इनडोर मरीज़ों की हमेशा आवाजाही लगी रहती है, इनके इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपडेट करने के साथ एडवांस लैबोरेटरी भी तैयार की गई, इसकी रोज़ाना 500 लैब टेस्ट करने की क्षमता है.
- c. वर्कर्स की जनसंख्या का ख्याल रखने के लिए 4 स्थानों (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई) में 4 मेडिकल क्लिनिक तैयार करने की योजना बनाई गई. ये मोबाइल क्लिनिक झुग्गी-झोपड़ियों और कंस्ट्रक्शन साइट की आसपास की जगहों तक पहुंचेंगे और ऐसे कंस्ट्रक्शन वर्कर को साइट पर ही स्वास्थ्य देखभाल सेवा मुफ्त में मुहैय्या कराएंगे, जो नियमित रूप से स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचने में असमर्थ हैं.
- d. मरीज़ों को नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्रों तक आसानी से पहुंचने में मदद के लिए 2 पेशेंट ट्रांसपोर्ट बसों की योजना बनाई गई है. जो मरीज़ दूरदराज़ के गांवों में रहते हैं और जिनके लिए स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचना आसान नहीं है, वे इस ट्रांसपोर्टेशन की मदद से आराम से स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच सकते हैं.
- e. बधिर बच्चों को 250 श्रवण यंत्र वितरित किए गए. ये श्रवण यंत्र इन बच्चों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थे. इन श्रवण यंत्रों का उपयोग करके उन्हें बोलने का प्रशिक्षण दिया जा सका और अब उन्होंने बातचीत करना भी शुरू कर दिया है.
शिक्षा के मामले में हम ऐसे चुनिंदा प्रोजेक्ट का चयन करते हैं, जिनकी गतिविधियों के ज़रिए छात्रों को बेहतरीन शिक्षा और भविष्य प्रदान करने का विश्वास दिलाया जाता है, इसमें एडवांस लर्निंग टेक्नोलॉजी, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्कॉलरशिप और शिक्षा सहायता सामग्री शामिल हैं.
हमारे द्वारा सहायता प्राप्त/शुरू किए गए किए गए प्रोजेक्ट इस प्रकार से हैं:
- a. 4 सरकारी आंगनवाड़ियों को बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, शैक्षणिक सामग्री, खेल का मैदान और खिलौने मुहैय्या कराए गए हैं. इसी तरह का कार्य दूसरे पांच आंगनवाड़ियों में भी किया जा रहा है. ये सभी बेहतरीन कार्यकलाप अधिक से अधिक बच्चों को रोज़ाना आंगनवाड़ी में आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
- b. 2 स्कूलों में सुधार के कार्य किए गए, जैसे कि इनके इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारा गया, शैक्षणिक सामग्री प्रदान की गई और छात्रों को इंफॉर्मेटिव वॉल आर्ट की सुविधा मुहैय्या कराई गई. इन सरकारी स्कूलों में खेल के नए-नए क्षेत्र बनाए गए, बस के आकार में एक स्वच्छ टॉयलेट बनाया गया और इसका नाम रखा गया ‘स्वच्छता वाहिनी’ और छात्रों के लिए विशेष भोजनालय बनाया गया. इन्हीं विशेषताओं के कारण ये सरकारी स्कूल पूरे क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाने लगे और आसपास के गांवों से ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे इसमें एडमिशन के लिए आकर्षित होने लगे.
- c. ग्रामीण क्षेत्रों के उन गांवों में स्थित 23 ऐसे सरकारी स्कूलों में सोलर पैनल लगाए गए, जहां बिजली तो पहुंच गई थी, लेकिन लोड शेडिंग सबसे बड़ी समस्या थी. खासकर गर्मियों के दिनों में जब दिन में बिजली नहीं होती थी, तब इस परेशानी के कारण छात्रों की अनुपस्थिति बढ़ जाती थी, क्योंकि लोड शेडिंग के कारण वे असुविधा महसूस करते थे.
- d. 47 सरकारी स्कूलों में ई-लर्निंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित किए गए हैं, जिससे कि छात्रों को सीखने के लिए ऑडियो-विज़ुअल जैसी सहायता सामग्री आसानी से प्राप्त हो जाए. 4500 छात्र इन स्थापित ई-लर्निंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के ज़रिए रोज़ाना ऑनलाइन इंटरैक्टिव क्लास एक्सेस कर पाएंगे, जिससे कि शिक्षा का स्तर बेहतर होगा.
- e. समाज के वंचित वर्गों से आने वाले सभी विद्यार्थियों को सहायता देने और प्रेरित करने के लिए स्कॉलरशिप प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, ताकि वे अपनी शिक्षा पूरी कर सकें. यह स्कॉलरशिप पूरे भारत में 400 विद्यार्थियों को प्रदान की जाएगी.
- f. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आसपास के कई आदिवासी गांवों से आने वाले छात्रों की आवाजाही के लिए 1 स्कूल बस की सेवा मुहैय्या कराई गई. छात्रों के परिवार की इनकम बहुत कम होने और उनके घर दूर-दराज़ के इलाकों में होने के कारण छात्रों को स्कूल आने जाने के लिए किसी तरह के परिवहन की सुविधा नहीं थी. स्कूल बस की सुविधा मिलने से उन्हें स्कूल आने की इस समस्या से मुक्ति मिलेगी और उन्हें दूसरे बच्चों की तरह समान शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलने लगेंगे.
- g. 20 स्कूलों में एसटीइएम (साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग मैथ्स) की शिक्षा में सहायता दी जाएगी. इस प्रोजेक्ट के तहत छात्रों को प्रैक्टिकल ऐक्टिविटी, वर्कशॉप, व्यवहारिक अभ्यास और खेल के द्वारा अनुभवात्मक शिक्षा प्रदान करते हुए गुणवत्तापूर्ण एसटीइएम की शिक्षा दी जाएगी, जिससे कि छात्रों को विभिन्न कॉन्सेप्ट्स और स्किल्स सीखने में मदद मिलेगी. इससे उनमें नए-नए स्किल्स विकसित होंगे, जैसे कि कम्प्यूटेशनल समझ, समस्या-निवारण योग्यता, रचनात्मक समझ, तार्किक विचार, बेहतर निर्णय लेने की क्षमता और उपयुक्त अवलोकन की क्षमता.
पर्यावरण को हरा-भरा बनाए रखने और समाज को एक बेहतर परिवेश प्रदान करने के लिए हमने यह ज़िम्मेदार उठाई है कि हम प्राकृतिक संसाधनों द्वारा फिर से हरियाली लाएंगे, चीज़ों को रिसाइकिल करेंगे और इनका उचित प्रबंधन भी करेंगे, जिससे कि कूड़े-कचरे से होने वाले प्रदूषण में कमी लाई जा सके और लोगों को शुद्ध पानी मिल सके.
हमारे द्वारा सहायता प्राप्त/शुरू किए गए किए गए प्रोजेक्ट इस प्रकार से हैं:
- a. दो तालाबों को विकसित करने का काम शुरुआती स्तर से किया गया, जिससे कि वार्षिक रूप से 27.22 मिलियन पानी की क्षमता वाले इन तालाबों से 1606 की ग्रामीण आबादी को इसका लाभ प्राप्त हो. इसका लाभ उन्हें कृषि, बागवानी और पशुओं के लिए पानी की उपलब्ध कराने में होगा, इससे भविष्य में ग्रामीणों की इनकम में वृद्धि होगी.
- b.राजस्थान के दो गांव, गोवला और माल की टूस में पानी की आपूर्ति के लिए घरों में वॉटर सप्लाई सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी मिले. इन 2 गांवों में 944 ग्रामीणों को पाइपलाइन कनेक्शन के ज़रिए सीधे पानी मिल रहा रहा है और ऐसा उनके जीवन में पहली बार हो रहा है. इस प्रोजेक्ट में सोलर वॉटर लिफ्टिंग सिस्टम के साथ ओवरहेड टैंक भी बना दिए गए हैं, साथ में एक जल समिति भी बनाई गई है, ताकि इस सिस्टम का काम सुचारु रूप से जारी रहे.
- c.उन क्षेत्रों में एक घंटे के भीतर 1000 लीटर पानी की क्षमता वाले तीन आरओ प्लांट लगाए गए, जहां पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता या शुद्ध पानी मिल पाना एक गंभीर समस्या थी. सामूहिक रूप से 3 प्लांट से 75000 लोगों को पानी की आपूर्ति की उम्मीद है.
- d. प्लास्टिक के अपशिष्ट के निपटान के लिए सार्वजनिक स्थानों पर 16 प्लास्टिक बोतल क्रशर को इंस्टॉल किए जाने का काम चल रहा है, ये ऐसे स्थान है, जहां बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के अपशिष्ट पाए जाते हैं. इस प्रोजेक्ट के ज़रिए हम आम लोगों को प्रेरित करते हैं कि वे इन प्लास्टिक की बोतलों को इन मशीनों में फेंकें, ताकि यहां इनका निपटान किया जा सके और रिसाइकिल के लिए इन्हें रिसाइकल यूनिट में भेजा जा सके. इस प्रोजेक्ट से लैंडफिल में जाने वाले कई टन प्लास्टिक कचरे कम हो जाएंगे और इसे सीधे रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाएगा.
पीएनबी हाउसिंग
कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व
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पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व एक प्रकार की जीवनशैली है. हमने बिज़नेस के नियम और इसके परिचालन के लिए कॉर्पोरेट के दायित्वों के महत्वपूर्ण सिद्धांत शामिल किए हैं. हमारी अब तक की यात्रा में हमने एक स्थायी बिज़नेस मॉडल बनाया है और अपने स्टेक होल्डर्स के लिए आदर्श स्थापित किए हैं. हमें पूरा विश्वास है कि हम समाज के वंचित लोगों के जीवन में सुधार लाएंगे और सरल सामूहिक प्रयासों के द्वारा राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे.
मिशन स्टेटमेंट
ऐसे गतिविधियों की योजना बनाना, जो स्वरूप में संपूर्ण हो और जिससे बड़े पैमाने पर समुदाय की सामाजिक-स्थिति में सुधार हो. इस गतिविधि से न केवल प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त करने वालों के विकास पर असर होगा, बल्कि इससे प्रभावित क्षेत्र के पारितंत्र में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा.