PNB Housing Finance Limited

एनएसई:

बीएसई:

अंतिम अपडेट:

()
औसत रेटिंग
शेयर करें
प्रतिलिपि करें

प्रॉपर्टी टैक्स और इसकी गणना कैसे की जाती है, इस बारे में सब कुछ जानें

give your alt text here

प्रॉपर्टी टैक्स वह वार्षिक राशि है, जिसका भुगतान प्रॉपर्टी के मालिकों को राज्य की नगरपालिकाओं को करना होता है. इस राशि का उपयोग आसपास के क्षेत्रों में सड़कों, ड्रेनेज सिस्टम, पार्कों और स्ट्रीट लाइट जैसी नागरिक सुविधाओं को बनाए रखने के लिए किया जाता है. प्रॉपर्टी टैक्स आमतौर पर केंद्र सरकार की प्रॉपर्टी, खाली प्रॉपर्टी और बिना किसी बिल्डिंग वाले खाली प्लॉट को छोड़कर सभी प्रकार की रियल एस्टेट बिल्डिंग पर लगाए जाते हैं.

प्रॉपर्टी के प्रकार

रियल एस्टेट को चार अलग-अलग कैटेगरी में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • भूमि: बिना किसी निर्माण के
  • सुधार वाली भूमि: भूमि, जिस पर घर, ऑफिस, बिल्डिंग जैसे अचल निर्माण किए गए हैं.
  • पर्सनल प्रॉपर्टी: बस और क्रेन जैसे मानव-निर्मित एसेट, जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है
  • अमूर्त एसेट्स

इन चार प्रकार की प्रॉपर्टी में से केवल भूमि और सुधार वाली भूमि पर ही प्रॉपर्टी टैक्स लगाया जाता है. प्रॉपर्टी की दरों का मूल्यांकन उस क्षेत्र की नगरपालिका द्वारा किया जाता है, जो इसके बाद प्रॉपर्टी टैक्स का निर्धारण करती है, जिसका भुगतान वार्षिक या अर्ध-वार्षिक या किसी भी निर्धारित अवधि के आधार पर किया जा सकता है.

प्रॉपर्टी टैक्स की गणना करने की विभिन्न विधियां

स्थानीय नगरपालिका प्रॉपर्टी टैक्स की गणना करने के लिए इन तीन विधियों में से किसी भी विधि का इस्तेमाल कर सकती है:

1. सीवीएस या कैपिटल वैल्यू सिस्टम

स्थानीय सरकार प्रॉपर्टी की लोकेशन के आधार पर उसकी मार्केट वैल्यू के एक प्रतिशत के रूप में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना करती है. वर्तमान में मुंबई में इस विधि का इस्तेमाल किया जाता है.

2. यूएएस या यूनिट एरिया वैल्यू सिस्टम

प्रॉपर्टी टैक्स की यह गणना प्रॉपर्टी के एरिया (क्षेत्रफल) की कीमत (प्रति फुट) पर आधारित होती है. यह कीमत प्रॉपर्टी से प्राप्त होने वाले अपेक्षित रिटर्न पर आधारित होती है, जो इसकी लोकेशन, उपयोग और भूमि की कीमत पर निर्भर करता है. वर्तमान में इस विधि का इस्तेमाल नई दिल्ली, बिहार, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद आदि में किया जाता है.

3. आरवीएस या एनुअल रेंटल वैल्यू सिस्टम या रेटेबल वैल्यू सिस्टम

प्रॉपर्टी टैक्स की इस प्रकार की गणना किसी प्रॉपर्टी के लिए प्राप्त रेंटल वैल्यू पर की जाती है. यह वैल्यू नगरपालिका द्वारा लोकेशन, आकार, सुविधाओं आदि के आधार पर निर्धारित की जाती है. वर्तमान में इस विधि का इस्तेमाल चेन्नई और हैदराबाद के कुछ हिस्सों में किया जाता है.

बेसिक प्रॉपर्टी टैक्स की गणना

प्रॉपर्टी टैक्स की गणना राज्य या नगरपालिका, प्रॉपर्टी के प्रकार, इस्तेमाल की स्थिति - किराए पर दी गई या स्वयं के रहने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली, सतह और कार्पेट, बिल्डिंग में फ्लोर की संख्या आदि के आधार पर अलग-अलग तरीके से की जाती है.

रियल एस्टेट के मालिक अपने संबंधित नगर निगम की वेबसाइट पर जाकर यह गणना कर सकते हैं कि उन्हें प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में कितनी राशि चुकानी होगी. प्रारंभिक टैक्स राशि की गणना करने के लिए, प्रॉपर्टी से संबंधित कुछ विवरण, जैसे- एरिया, फ्लोर आदि की आवश्यकता होगी. प्रॉपर्टी टैक्स की गणना में इस्तेमाल किया जाने वाला स्टैंडर्ड फॉर्मूला है:

प्रॉपर्टी टैक्स की गणना = प्रॉपर्टी की वैल्यू x बिल्ट एरिया x आयु कारक x बिल्डिंग का प्रकार x इस्तेमाल की कैटेगरी x फ्लोर कारक.

प्रॉपर्टी टैक्स में छूट?

नागरिक प्राधिकरणों/ सरकार द्वारा इन प्रॉपर्टी को टैक्स से छूट दी जाती है:

  • केंद्र सरकार की बिल्डिंग
  • अविकसित भूमि
  • खाली प्रॉपर्टी

आप निम्नलिखित कारकों के आधार पर प्रॉपर्टी टैक्स से छूट का क्लेम कर सकते हैं:

  • आयु के आधार पर, विशेष रूप से सीनियर सिटीज़न के लिए
  • लोकेशन और आय
  • प्रॉपर्टी का प्रकार और पब्लिक सर्विस हिस्ट्री

प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान कैसे करें?

लोग अपने स्थानीय नगर निगम के ऑफिस में जाकर या नगर निगम की वेबसाइट पर ऑनलाइन अपने प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान कर सकते हैं.

प्रॉपर्टी टैक्स वर्ष में एक बार देय होते हैं. समय पर भुगतान करने का दायित्व प्रॉपर्टी मालिक का होता है, न कि प्रॉपर्टी में रहने वाले व्यक्ति का. विलंबित भुगतान पर 5% से 20% तक का दंड लगाया जा सकता है.

पाएं होम लोन अप्रूवल
3 मिनट, झंझट-मुक्त!

पीएनबी हाउसिंग

इन टॉपिक्स के बारे में भी जानें

Request Call Back at PNB Housing
कॉल बैक पाएं