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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
होम लोन एसेट
चरण 1:आवश्यक डॉक्यूमेंट के साथ अपनी लोन एप्लीकेशन सबमिट करें.
चरण 2: आपकी एप्लीकेशन का विभिन्न पात्रता और फंडिंग मानदंडों के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा.
चरण 3: लोन के मूल्य निर्धारण और प्रॉपर्टी की कानूनी मंज़ूरी के लिए कंपनी के प्रतिनिधि प्रोपर्टी की कीमत और स्वामित्व की जानकारी की जांच करनी होगी.
चरण 4: आंतरिक और नियामक दिशानिर्देशों के आधार पर, पीएनबी हाउसिंग लोन एप्लीकेशन को अप्रूव या रिजेक्ट कर सकता है.
चरण 5: इसमें एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने, रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी पेपर जमा करने और पोस्ट-डेटेड चेक/ईसीएस जमा करने के साथ-साथ ओरिजिनल प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट जमा करना होता है.
चरण 6: सभी डॉक्यूमेंट सही होने पर, पीएनबी हाउसिंग निर्माण की प्रगति के आधार पर डेवलपर/कॉन्ट्रैक्टर को लोन राशि डिस्बर्स करेगा. ईएमआई/ प्री-ईएमआई लोन के डिस्बर्समेंट के बाद शुरू होगी.
अगर आप भारतीय नागरिक हैं या भारतीय मूल के व्यक्ति हैं और वेतनभोगी/स्व-व्यवसायी प्रोफेशनल/बिज़नेसमैन हैं, तो आप लोन के लिए पात्र हैं. आपकी लोन पात्रता पीएनबी एचएफएल द्वारा प्रोफेशनल इनकम, आयु, योग्यताएं, आश्रितों की संख्या, को-एप्लीकेंट की आय, एसेट, देयताएं, व्यवसाय की स्थिरता और निरंतरता, सेविंग्स और आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर निर्धारित की जाएगी. इसके अलावा, लोन की पात्रता प्रॉपर्टी की कीमत पर भी निर्भर होगी.
होम लोन के मामले में प्रॉपर्टी की वैल्यू का 90% तक और प्रॉपर्टी पर लोन के मामले में 60% तक फंड प्राप्त हो सकता है. हालांकि पीएनबी एचएफएल फंडिंग मानदंड, समय-समय पर और प्रॉपर्टी के अनुसार या लोन राशि के आधार पर बदल सकते हैं.
हां, आप प्रॉपर्टी खरीदने की तिथि से 6 महीनों के भीतर लागू होम लोन दर पर री-फाइनेंस करा सकते हैं.
आपका लोन समान मासिक किश्तों (ईएमआई) के माध्यम से चुकाया जाता है, जिसमें मूलधन और ब्याज, दोनों शामिल होते हैं. ईएमआई का पुनर्भुगतान, अंतिम डिस्बर्समेंट के महीने के बाद के महीने से शुरू होता है. प्री-ईएमआई ब्याज, एक आसान ब्याज है, जो लोन राशि पूरी तरह से डिस्बर्स नहीं होने तक हर महीने देय होता है.
उधारकर्ता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, ईएमआई को स्थिर रखा जाता है और शेष लोन अवधि को एडजस्ट किया जाता है. असाधारण स्थितियों में, एक समय-सीमा के भीतर मूलधन के पुनर्भुगतान में सहायता के लिए ईएमआई को बदल दिया जाता है.
लोन के लिए मुख्य सिक्योरिटी टाइटल डीड और/या ऐसी अन्य कोलैटरल सिक्योरिटी डिपॉजिट होती है, जो पीएनबी एचएफएल द्वारा निर्धारित की जा सकती है. प्रॉपर्टी का स्वामित्व स्पष्ट होना चाहिए, प्रॉपर्टी बेचने योग्य होनी चाहिए और उस पर कोई लोन या उधार नहीं होना चाहिए.
हां, होम लोन प्रीपेड किया जा सकता है. आपकी किसी भी नज़दीकी PNB हाउसिंग ब्रांच में चेक के माध्यम से पार्ट पेमेंट किया जाना चाहिए. चेक केवल किसी भी लोन एप्लीकेंट के बैंक अकाउंट से "PNB हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड" के पक्ष में होना चाहिए. सोमवार से शुक्रवार तक, 2nd से महीने के 20th तक पार्ट प्री-पेमेंट किए जाने चाहिए. लागू लोन प्री-पेमेंट शुल्क के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट www.pnbhousing.com पर " फेयर प्रैक्टिस कोड" सेक्शन के तहत शुल्क के शिड्यूल देखें
पीएनबी हाउसिंग वर्तमान लोन स्कीम के अनुसार, डिस्बर्समेंट के दिन से निर्दिष्ट अवधि के लिए, लोन लेने के समय लागू निवल फिक्स्ड ब्याज दर प्रदान करता है. इसके बाद, शेष लोन अवधि के लिए, बकाया मूलधन राशि ऑटोमैटिक रूप से उस समय लागू ब्याज दरों के अनुसार फ्लोटिंग ब्याज दर पर हो जाती है.
प्रॉपर्टी चुन लेने, अपने होम लोन के लिए अप्लाई कर देने, ज़रूरी इनकम और प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट सबमिट करने, प्रॉपर्टी तकनीकी रूप से सही और कानूनी रूप से मान्य होने, और कस्टमर द्वारा प्रॉपर्टी की खरीद में अपने हिस्से का योगदान कर दिए जाने के बाद कस्टमर का लोन डिस्बर्स किया जाता है. डिस्बर्समेंट भारतीय रुपयों में होगा और पीएनबी हाउसिंग की भारत में स्थित किसी ब्रांच में होगा, जैसा उनके द्वारा निर्धारित किया जाएगा.
लोन राशि का चेक डेवलपर या विक्रेता (रीसेल प्रॉपर्टी के मामले में) के पक्ष में जारी किया जाता है, जैसा भी मामला हो. अगर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है, तो पीएनबी हाउसिंग निर्माण के चरण के अनुपात में लोन राशि डिस्बर्स करेगा.
प्रॉपर्टी चुन लेने, अपने होम लोन के लिए अप्लाई कर देने, ज़रूरी इनकम और प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट सबमिट करने, प्रॉपर्टी तकनीकी रूप से सही और कानूनी रूप से मान्य होने, और कस्टमर द्वारा प्रॉपर्टी की खरीद में अपने हिस्से का योगदान कर दिए जाने के बाद कस्टमर का लोन डिस्बर्स किया जाता है. डिस्बर्समेंट भारतीय रुपयों में होगा और पीएनबी हाउसिंग की भारत में स्थित किसी ब्रांच में होगा, जैसा उनके द्वारा निर्धारित किया जाएगा.
लोन राशि का चेक डेवलपर या विक्रेता (रीसेल प्रॉपर्टी के मामले में) के पक्ष में जारी किया जाता है, जैसा भी मामला हो. अगर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है, तो पीएनबी हाउसिंग निर्माण के चरण के अनुपात में लोन राशि डिस्बर्स करेगा.
आप इनकम टैक्स सर्टिफिकेट यहां से प्राप्त कर सकते हैं:
1. 1800 120 8800 पर हमारी आईवीआर सेवाओं को कॉल करके
2. हमारा मोबाइल एप्लीकेशन से
3. हमारी वेबसाइट https://customerservice.pnbhousing.com/myportal/pnbhfllogin से
1. किसी भी विलंबित भुगतान शुल्क से बचने के लिए, कृपया ईएमआई की देय तिथि से पहले अपनी नज़दीकी पीएनबी एचएफएल ब्रांच में पोस्ट डेटेड चेक जमा करें.
2. ईसीएस के माध्यम से लोन के पुनर्भुगतान को वरीयता दी जाती है.
नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार, अगर पुनर्भुगतान के लिए देय ब्याज/ईएमआई का भुगतान 90 दिनों तक नहीं होता है, तो लोन अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट की कैटेगरी में डाल दिया जाता है.
एनपीए अकाउंट के लिए पीएनबीएचएफएल सरफेसी एक्ट 2002 के तहत रिकवरी की कार्यवाही शुरू करेगा. कार्यवाही के तहत, बकाया राशि रिकवर करने के लिए लोन के कोलैटरल/सिक्योरिटी को कब्ज़े में लिया जा सकता है.
आरबीआई के सर्कुलर rbi/2021-2022/125 dor.str.rec.68/21.04.048/2021-22 तिथि 12 नवंबर, 2021 के अनुसार, कस्टमर को अकाउंट को 'स्टैंडर्ड' कैटेगरी में वापस लाने के लिए पूरी बकाया राशि (सभी बकाया ईएमआई + ब्याज) का भुगतान करना होगा. आंशिक भुगतान से अकाउंट नियमित नहीं होगा.
होम लोन एसेट – एनआरआई
फेमा के तहत एनआरआई की परिभाषाएं:
1 जून, 2000 को फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट, 1973 (फेरा/एफईआरए) की जगह लेने वाले फेमा (एफईएमए) में एनआरआई की जो परिभाषा दी गई है, वह भारत में विभिन्न बैंक अकाउंट और चल व अचल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट के संबंध में एनआरआई की सबसे प्रासंगिक परिभाषा है. एनआरआई का अर्थ है भारत से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति, यानी ऐसे व्यक्ति, जो भारत के बाहर रोज़गार के उद्देश्य से, बिज़नेस चलाने के उद्देश्य से, या आजीविका के उद्देश्य से, या भारत से बाहर अनिश्चित अवधि तक रहने के उनके इरादे दिखाने वाली किसी अन्य परिस्थिति के कारण भारत से जा चुके हैं या जो भारत से बाहर निवास करते हैं.
पीएनबी हाउसिंग लोन के पुनर्भुगतान के लिए कई तरीके देता है. कस्टमर पोस्ट-डेटेड चेक जारी कर सकते हैं या फिर अपने बैंक को यह स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन जारी कर सकते हैं कि बैंक भारत में उसके नॉन-रेज़िडेंट (एक्सटर्नल) अकाउंट / नॉन-रेजिडेंट (ऑर्डिनरी) अकाउंट से ईसीएस (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम) के ज़रिए किस्तों का भुगतान प्राप्त करे. कैश भुगतान स्वीकार नहीं किया जाएगा.
कस्टमर के वापस भारत में बसने की स्थिति में, पीएनबी हाउसिंग एप्लीकेंट की निवास की स्थिति के आधार पर उनकी पुनर्भुगतान क्षमता का फिर से मूल्यांकन करके संशोधित पुनर्भुगतान शिड्यूल तैयार करता है. ब्याज की नई दर निवासी भारतीय लोन के लिए लागू मौजूदा दर (उस विशिष्ट लोन प्रोडक्ट के लिए) के अनुसार होगी. यह संशोधित ब्याज दर कन्वर्ट की जा रही बकाया शेष राशि पर लागू होगी. स्टेटस में बदलाव को कंफर्म करने के लिए कस्टमर को एक लेटर दिया जाएगा.
होम लोन लेने के लिए कस्टमर का भारत में मौजूद होना ज़रूरी नहीं है. अगर लोन एप्लीकेशन और लोन डिस्बर्समेंट के समय कस्टमर विदेश में है, तो वे पीएनबी हाउसिंग के फॉर्मेट के अनुसार पावर ऑफ अटॉर्नी नियुक्त करके लोन ले सकते हैं. पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर कस्टमर की ओर से अप्लाई कर सकते हैं और औपचारिकताएं पूरी कर सकते हैं.
पावर ऑफ अटॉर्नी द्वारा एक निवासी भारतीय को एक विशेष पावर ऑफ अटॉर्नी (एसपीओए) डीड बनाकर सभी एप्लीकेंट की ओर से कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है. एप्लीकेंट और को-एप्लीकेंट, दोनों के लिए संबंधित व्यक्ति के पक्ष में एसपीओए बनवाना अनिवार्य है. अगर को-एप्लीकेंट निवासी भारतीय है, तो वह एप्लीकेंट द्वारा एसपीओए के निष्पादन के माध्यम से भी एसपीओए बन सकते हैं.
फिक्स डिपॉजिट
फिक्स्ड डिपॉजिट को निवासी व्यक्ति/एचयूएफ/पब्लिक/प्राइवेट कंपनियों/नॉन-रेजिडेंट इंडियन/को-ऑपरेटिव सोसाइटीज़/को-ऑपरेटिव बैंक/ट्रस्ट/एसोसिएशन ऑफ पर्सन, पीएफ ट्रस्ट आदि खोल सकते हैं.
संभावित डिपॉजिटर को सभी केवाईसी डॉक्यूमेंट के साथ निर्धारित "डिपॉजिट एप्लीकेशन फॉर्म" भरना होगा और पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पक्ष में अकाउंट पेई चेक/डिमांड ड्राफ्ट/एनईएफटी/आरटीजीएस जमा करना होगा. डिपॉजिट एप्लीकेशन सभी पीएनबी हाउसिंग ब्रांच और अधिकृत ब्रोकर के पास उपलब्ध हैं. डिपॉजिट फॉर्म कंपनी की इस वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं – www.pnbhousing.com.
लोन की अवधि के दौरान, भूकंप, आग, या अन्य प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं से होने वाली हानि से बचाव के लिए, प्रॉपर्टी का इंश्योरेंस करवाना अनिवार्य है.
संचयी डिपॉजिट – ₹ 10000
गैर-संचयी डिपॉजिट –
मासिक इनकम प्लान – ₹100000
त्रैमासिक इनकम प्लान – ₹50000
अर्धवार्षिक इनकम प्लान – ₹20000
वार्षिक इनकम प्लान – ₹20000
अगर कस्टमर एक निवासी भारतीय व्यक्ति/संस्था/ट्रस्ट है, तो न्यूनतम अवधि 1 वर्ष है और अधिकतम अवधि 10 वर्ष है.
हां, पीएनबी हाउसिंग कस्टमर के डिपॉजिट किए गए पैसे की एफडी के लिए रसीद जारी करता है.
हां.
मनी लॉन्डरिंग रोकथाम अधिनियम 2002 के संदर्भ में, इसके तहत दर्ज नियमों और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा जारी किए गए केवाईसी दिशानिर्देशों के तहत, प्रत्येक डिपॉजिटर को निम्नलिखित डॉक्यूमेंट सबमिट करके केवाईसी आवश्यकताओं का पालन करना होगा:
- लेटेस्ट फोटो.
- पैनकार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि जैसी पहचान प्रमाणपत्र की प्रमाणित कॉपी.
- पते के प्रमाणपत्र की प्रमाणित कॉपी, कॉर्पोरेट के लिए निगमन प्रमाणपत्र, पैनकार्ड रजिस्ट्रेशन संख्या/ट्रस्ट डीड है.
हां, लोन सुविधा पीएनबी हाउसिंग के विवेकाधिकार पर उपलब्ध है, जिसका लाभ डिपॉजिट की तिथि से तीन महीनों के बाद और डिपॉजिट राशि का 75% तक लिया जा सकता है, जो कुछ नियम और शर्तों के अधीन है. ऐसे लोन पर ब्याज दर डिपॉजिटर को भुगतान किए जाने वाले डिपॉजिट पर ब्याज दर से 2% अधिक होगी.
हां, एफडी की ओरिजिनल अवधि से पहले एफडी राशि निकाली (इसे प्री-मेच्योर विड्रॉल कहते हैं) जा सकती है. हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज़ (एनएचबी) डायरेक्शंस, 2010 के प्रावधानों के अनुसार, और डिपॉजिटर द्वारा अनुरोध किए जाने पर, निम्नलिखित शर्तों के तहत डिपॉजिट को समय से पहले निकालने की अनुमति दी जा सकती है:
डिपॉजिट की तारीख से बीता समय | व्यक्तिगत | गैर-व्यक्तिगत |
---|---|---|
(a) न्यूनतम लॉक-इन अवधि | 3 महीने | 3 महीने |
(b) तीन महीने के बाद लेकिन छह महीने से पहले | 4% प्रति वर्ष. | कोई ब्याज नहीं |
(c) छह महीने के बाद, लेकिन मेच्योरिटी की तिथि से पहले | व्यक्तियों और गैर-व्यक्तियों को देय ब्याज की दर, डिपॉजिट की अवधि के लिए पब्लिक डिपॉजिट पर लागू ब्याज दर से 1% प्रतिशत कम होगी. |
अगर डिपॉजिट किसी अधिकृत डिपॉजिट ब्रोकर के माध्यम से किया गया है, तो चुकाया गया अतिरिक्त ब्रोकरेज डिपॉजिट राशि से वसूला जाएगा. अतिरिक्त ब्रोकरेज, ओरिजिनल कॉन्ट्रैक्ट अवधि के ब्रोकरेज और डिपॉजिट की अवधि के ब्रोकरेज का अंतर होता है.
अगर एक फाइनेंशियल वर्ष में सभी डिपॉजिट से कस्टमर की कुल ब्याज आय ₹ 5,000/- से अधिक है, तो डिपॉजिटर को टीडीएस देना होता है. कस्टमर फॉर्म 15जी (व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए) /15एच (60 वर्ष या अधिक की आयु वाले सीनियर सिटीज़न के लिए) या इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 197 के तहत इनकम टैक्स अथॉरिटीज़ द्वारा जारी कम/शून्य टीडीएस कटौती का सर्टिफिकेट जमा कर सकता है.
एनआरआई के मामले में, फाइनेंशियल वर्ष के दौरान चुकाई गई/जमा की गई ब्याज से टीडीएस कटेगा, चाहे उसकी राशि कुछ भी हो.
हां, अनिवासी व्यक्ति पीएनबी हाउसिंग में फिक्स्ड डिपॉजिट खोल सकते हैं और केवल अपने एनआरओ अकाउंट से उसकी फंडिंग कर सकते हैं. न्यूनतम अवधि 1 वर्ष और अधिकतम अवधि 3 वर्ष है.
हां, लेकिन टैक्स देयता की गणना के उद्देश्य से सभी अकाउंट जोड़े जाएंगे.
हां, पीएनबी एचएफएल के पास किए गए डिपॉजिट इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 11(5) (vii) और 11 (5) (ix) के तहत पात्र इन्वेस्टमेंट हैं.
हां, जब तक वह कोई सक्षम प्राधिकरण द्वारा छूट के लिए सर्टिफिकेट प्रदान नहीं करता.
हां, पीएनबी हाउसिंग के एफडी के साथ नॉमिनेशन सुविधा उपलब्ध है.
हां, नाबालिग किसी संरक्षक के साथ अप्लाई कर सकते हैं.
हां, नेशनल हाउसिंग बैंक के निर्देशों के अनुसार, डिपॉजिटर को रिन्यूअल के समय एप्लीकेशन फॉर्म के साथ विधिवत डिस्चार्ज की गई डिपॉजिट रसीद देनी होगी.
जनसांख्यिकीय विवरण में बदलाव के लिए,, रजिस्टर्ड ईमेल आईडी से ईमेल के ज़रिए या कंपनी की वेबसाइट पर कस्टमर केयर हमसे संपर्क करें सेक्शन में अनुरोध करके पीएनबी हाउसिंग ब्रांच ऑफिस को सूचित किया जा सकता है.
अगर डिपॉजिट रसीद खो जाती है/खराब हो जाती है, तो डिपॉजिटर को डुप्लीकेट डिपॉजिट रसीद जारी कराने के लिए एप्लीकेशन और इन्डेम्निटी फॉर्म जमा करने होंगे.
- डिपॉजिटर की मृत्यु के मामले में, अगर पुनर्भुगतान के विकल्प में ‘सरवाइवर या उनमें से कोई एक’ चुना गया था, तो डिपॉजिट राशि ब्याज समेत नॉमिनी को या जॉइंट होल्डर को दी जाएगी.
- अन्य मामलों में, कानूनी उत्तराधिकारियों को उत्तराधिकार सर्टिफिकेट/प्रमाणित वसीयत और क्षतिपूर्ति बॉन्ड (निर्धारित प्रारूप में) प्रस्तुत करने होंगे. अगर पीएनबी हाउसिंग संतुष्ट है, तो वह क्लेम सेटल करेगा.
हां, कंपनी के डिपॉजिट प्रोग्राम को क्रिसिल से रेटिंग मिली है. रेटिंग एफएएए+/नेगेटिव है.
चेक की प्राप्ति की तिथि से या पीएनबी एचएफएल के बैंक अकाउंट में फंड ट्रांसफर होने की तिथि से फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज देय होगा. कस्टमर द्वारा चुने गए एफडी प्लान के अनुसार डिपॉजिट पर ब्याज का भुगतान किया जाता है.
गैर-संचयी डिपॉजिट:
स्कीम | ब्याज भुगतान की तारीख |
---|---|
मासिक इनकम प्लान |
प्रत्येक महीने के अंतिम दिन |
तिमाही इनकम प्लान |
30 जून, 30 सितंबर, 31 दिसंबर और 31 मार्च |
छमाही प्लान |
30 सितंबर और 31 मार्च |
वार्षिक |
31 मार्च |
संचयी डिपॉजिट: टैक्स कटौती (जहां लागू हो) के बाद हर वर्ष 31 मार्च को ब्याज वार्षिक रूप से मूलधन में जोड़ी जाएगी. मेच्योरिटी के समय डिस्चार्ज डिपॉजिट रसीद मिल जाने के बाद ब्याज समेत मूलधन का भुगतान किया जाएगा.
डिपॉजिट पर लोन
फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन एक लोन है, जिसमें आप लोन राशि के बदले अपनी एफडी को कोलैटरल के रूप में गिरवी रख
सकते हैं. पीएनबी हाउसिंग फिक्स्ड डिपॉजिट पर फिक्स्ड ब्याज दरों पर लोन आसानी से, तेज़ प्रोसेसिंग, सुविधाजनक पुनर्भुगतान
विकल्पों और न्यूनतम डॉक्यूमेंटेशन के साथ प्रदान करता है.
पब्लिक डिपॉजिट पर डिपॉजिट की मूलधन राशि के 75% तक का लोन मिल सकता है, जिस पर उस डिपॉजिट की वार्षिक ब्याज दर से 2%
अधिक की वार्षिक ब्याज दर और उस डिपॉजिट पर लागू अन्य अतिरिक्त शुल्क लगते हैं, बशर्ते डिपॉजिट न्यूनतम
3 महीनों तक जमा रह चुका हो.
मेच्योरिटी के समय, डिपॉजिटर द्वारा बकाया लोन और ब्याज को एक लंपसम राशि चुकाकर सेटल किया जाता है या उसे डिपॉजिट की मेच्योरिटी
के समय एडजस्ट किया जाएगा.
फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन पर लागू ब्याज दर प्रभावी एफडी ब्याज दर से 2%
अधिक है.
आपको अपनी बेस ब्रांच में ये डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे:
a. एप्लीकेशन फॉर्म
b. ओरिजिनल, साइन किया हुआ और रेवेन्यू स्टांप लगा हुआ एफडीआर.
नहीं, सिबिल स्कोर चेक नहीं किया जाता है, लोन मौजूदा फिक्स्ड डिपॉजिट पर दिया जाता है
एफडी पर लोन के मामले में कोई प्रोसेसिंग शुल्क लागू नहीं है.
नहीं, फिक्स्ड डिपॉजिट पर लिए गए आपके लोन पर कोई फोरक्लोज़र या प्री-पेमेंट शुल्क
लागू नहीं होते हैं.
आप फिक्स्ड डिपॉजिट राशि के 75% तक लोन ले सकते हैं.
नीचे बताए गए लोग फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन लेने के लिए पात्र हैं :
- भारत के निवासी नागरिक
- हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ)
- एकल स्वामित्व वाली कंपनियां, साझेदारी फर्म,
- एसोसिएशन
- ट्रस्ट
डिपॉजिट की प्रभावी तिथि से 90 दिन पूरे होने के बाद आप एफडी पर लोन ले सकते हैं.
लोन राशि का पुनर्भुगतान किसी भी समय आंशिक रूप से या फिर पूरी तरह से किया जा सकता है, जो उस तिथि से पहले किया जा सकता है, जब मैच्योर होती है
लागू नहीं होते हैं.
एप्लीकेशन और एफडीआर जमा किए जाने/ईमेल किए जाने के बाद लोन की प्रोसेसिंग में t+1 कार्य दिवस का समय
लगता है.
ऐसी स्थिति में, पूरी देय लोन राशि या तो ब्याज अथवा मूलधन के ज़रिए वसूली जाएगी या
या फिर मेच्योरिटी पर देय डिपॉजिट राशि से टीडीएस वसूला जाएगा.
हां, इसे प्री-क्लोज़ किया जा सकता है.
ब्याज पर ब्याज के रिफंड के बारे में सामान्य प्रश्न – व1.0.0
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 के एक निर्णय में यह निर्देश दिया कि मोराटोरियम अवधि के दौरान लोन पर लिया गया कंपाउंड/दंड ब्याज रिफंड किया जाए. इसके अनुसार, आरबीआई ने मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक मोराटोरियम अवधि का लाभ उठाने वाले लोन अकाउंट पर लिए गए कंपाउंड और साधारण ब्याज के बीच अंतर को रिफंड करने के लिए फाइनेंशियल संस्थानों को निर्देशित दिया. इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने अप्रैल 21 को विस्तृत दिशानिर्देश निर्धारित किए, जिनका संस्थानों को पालन करना होगा.
मार्च 2020 में आरबीआई द्वारा घोषित कोविड-19 पैकेज के भाग के रूप में (और विस्तारित मई
2020), जिन कस्टमर्स के पास 29 फरवरी 2020 को बकाया लोन था और जो 29 फरवरी 2020 को 90 डीपीडी से कम था, उन्हें 6 महीने की कुल अवधि के लिए, यानी मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक पुनर्भुगतान से एकमुश्त स्थगन की राहत दी गई थी. मोराटोरियम अवधि के दौरान, कस्टमर को लेंडर को कोई भी भुगतान करने से छूट दी गई थी. मोराटोरियम के दौरान, लेंडर ने मासिक आधार पर देय ब्याज को कम्पाउंड किया. इस प्रकार, मोराटोरियम अवधि के अंत में, बकाया लोन में, मोराटोरियम की शुरुआत में बकाया मूलधन और उस महीनों के लिए उस पर निर्धारित कंपाउंड ब्याज शामिल था, जिसके लिए मोराटोरियम का लाभ लिया गया था, जिसे "ब्याज पर ब्याज" के रूप में जाना जाता है - जो साधारण ब्याज और मोराटोरियम अवधि के दौरान लिए गए कंपाउंड ब्याज के बीच का अंतर है.
पीएनबीएचएफएल ने भी मोराटोरियम का लाभ उठाने वाले कस्टमर के लिए मोराटोरियम अवधि के लिए ब्याज लगाया था. इस निर्णय के अनुसार ब्याज पर ब्याज को रिफंड कर दिया जाएगा.
सभी "स्टैंडर्ड अकाउंट" को राहत मिलेगा. इस उद्देश्य के निर्धारण की तिथि 29 फरवरी, 2020 है. अर्थात, 29.02.2020 (“पात्र अकाउंट”) के अनुसार, पिछले देय (डीपीडी) की स्थिति 90 डीपीडी से कम होनी चाहिए.
आरबीआई सर्कुलर के तहत ये अकाउंट राहत के पात्र नहीं हैं:
- 29 फरवरी 2020 को एनपीए के रूप में वर्गीकृत अकाउंट ;
- लोन, जिन पर साधारण ब्याज लागू था;
- नवंबर'20 की एक्स-ग्रेशिया स्कीम के अनुसार अकाउंट में ब्याज पर ब्याज पहले ही रिफंड कर दिया गया है* ;
इसलिए,
- अब रिफंड उन लोन अकाउंट (29.02.2020 के अनुसार स्टैंडर्ड) में दिया जाएगा , जो अक्टूबर-नवंबर 2020 की एक्स-ग्रेशिया 1 स्कीम से शामिल नहीं हुए थे. इसमें शामिल होंगे ;
- सभी लोन* ( स्टैंडर्ड 29.02.2020 से प्रभावी) जहां एक्सपोजर (डिस्बर्समेंट) > ₹ 2 करोड़ था.
- All Loans* (standard as on 29.02.2020) where the exposure (disbursement) was<= INR 2 crore but the market exposure (basis CIBIL) was > INR 2crores.
* रिटेल और कॉर्पोरेट फाइनेंस, दोनों लोन पात्र होंगे
- लोन, चाहे वे मोराटोरियम का लाभ उठाए हों या नहीं उठाए हों, इसके लिए पात्र होंंगे. हालांकि, ब्याज पर ब्याज केवल तभी रिफंड किया जाएगा, जब ब्याज लिया गया हो. पीएनबीएचएफएल पर लागू नहीं है, क्योंकि ऐसे मामलों में ब्याज पर कोई ब्याज नहीं लिया गया था.
हां, क्योंकि लोन 29/02/2020 को स्टैंडर्ड (एनपीए नहीं) था और मोराटोरियम का लाभ उठाया था, इसलिए यह ब्याज पर ब्याज के रिफंड के लिए पात्र होगा, चाहे वह बाद में एनपीए बन गया हो.
आरबीआई सर्कुलर के तहत, ब्याज पर ब्याज का रिफंड उधारकर्ता के लिए उपलब्ध है, उसने मोराटोरियम का लाभ चाहे लिया हो या नहीं. हालांकि, आईबीए के विस्तृत दिशानिर्देशों के अनुसार, ब्याज पर ब्याज केवल तभी रिफंड किया जाएगा, जब लाभ लिया गया हो.
पीएनबीएचएफएल सामान्य लोन पर कंपाउंड ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज नहीं लेता है. इस प्रकार, जिन लोन में मोराटोरियम का लाभ नहीं लिया गया था, उन पर ब्याज पर ब्याज नहीं लगाई गई थी. इसलिए, ऐसे अकाउंट पर कोई रिफंड देय नहीं है.
मोराटोरियम अवधि के दौरान, सभी पीएनबीएचएफएल लोन अकाउंट पर दंडात्मक ब्याज शुल्क लगाना मोराटोरियम अवधि तक के लिए रोक दिया गया था. इसलिए, कोई भी रिफंड/माफी प्रोसेस नहीं होगी.
- ब्याज पर ब्याज की गणना दैनिक बैलेंस पर की गई है. मोराटोरियम अवधि के दौरान कोई भी आगामी डिस्बर्समेंट/प्रीपेमेंट को गणना में शामिल किया गया है.
- ब्याज पर ब्याज की गणना के लिए विशिष्ट तिथि पर लागू वास्तविक ब्याज दर का उपयोग किया गया है. मोराटोरियम अवधि के दौरान दर हुए किसी भी बदलाव को गणना में शामिल किया गया है.
- ब्याज पर ब्याज केवल उस सीमा तक रिफंड की जाएगी, जिस सीमा तक वह ली गई है. आंशिक मोराटोरियम मामलों (ऐसे कस्टमर, जिन्होंने 6 महीनों से कम का मोराटोरियम लिया था) और फोरक्लोज़ किए गए (मोराटोरियम अवधि के दौरान पूरी तरह चुका दिए गए) मामलों में, मोराटोरियम की केवल उस अवधि के ब्याज पर ब्याज रिफंड होगी, जब कंपाउंड ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज लगाई गई थी और लोन चालू था.
चालू लोन अकाउंट के मामले में, अंतर की राशि को उधारकर्ता द्वारा भविष्य में देय राशियों के साथ एडजस्ट करके प्रीपेमेंट के रूप में लाभ दिया जाता है.
क्लोज़्ड लोन अकाउंट के मामले में, हमारे रिकॉर्ड में मौजूद उधारकर्ता के पुनर्भुगतान अकाउंट में लाभ राशि रिफंड की जाएगी.
भाग a. व्यक्तियों और छोटे बिज़नेस के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क
a) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने पर्सनल लोन लिया है, और इसमें अचल संपत्तियों (जैसे, हाउसिंग, आदि) के निर्माण/की वृद्धि के लिए दिए गए लोन शामिल हैं.
b) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने बिज़नेस के लिए लोन और एडवांस लिए हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं के कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं हैं.
c) छोटे बिज़नेस, जिनमें रिटेल और होलसेल व्यापारी शामिल हैं, लेकिन इसमें वे शामिल नहीं हैं, जो 31 मार्च, 2021 के अनुसार माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ की कैटेगरी में हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं का कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं है.
बशर्ते कि उधारकर्ता को दी गईं क्रेडिट सुविधाएं/उधारकर्ता पर बकाया निवेश 31 मार्च, 2021 को स्टैंडर्ड कैटेगरी में था.
नहीं, पहले रीस्ट्रक्चर किए गए उधारकर्ता अकाउंट रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत कवर नहीं होंगे. अगर पर्सनल लोन के लिए रेज़ोलूशन 1.0 के तहत लागू रीस्ट्रक्चरिंग प्लान में शून्य मोराटोरियम/2 वर्ष से कम के मोराटोरियम की अनुमति थी, तो ऐसे अकाउंट को इस स्कीम के तहत रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है, बशर्ते कुल अनुमन्य मोराटोरियम/अवधि विस्तार 2 वर्ष से अधिक न हो.
रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क – 1.0 और इस फ्रेमवर्क, दोनों के तहत दिए गए मोराटोरियम और/या बाकी अवधि के विस्तार की ऊपरी सीमा, दोनों फ्रेमवर्क को मिलाकर कुल दो वर्ष होगी.
रेज़ोलूशन प्लान में, उधारकर्ता के आय स्रोतों के मूल्यांकन के आधार पर, भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज का किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलाव, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है, लेकिन इन विकल्पों की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होगी.
रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क 2.0 से जुड़े सामान्य प्रश्न
संबंधित आरबीआई सर्कुलर के माध्यम से 5 मई, 2021 को घोषित इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य एमएसएमई के रूप में रजिस्टर्ड उन व्यक्तियों, छोटे बिज़नेस और इकाइयों को राहत देना है, जिनका कामकाज अधिकतर राज्यों में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और फिर उसके बाद लॉकडाउन के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है.
भाग a. व्यक्तियों और छोटे बिज़नेस के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क
a) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने पर्सनल लोन लिया है, और इसमें अचल संपत्तियों (जैसे, हाउसिंग, आदि) के निर्माण/की वृद्धि के लिए दिए गए लोन शामिल हैं.
b) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने बिज़नेस के लिए लोन और एडवांस लिए हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं के कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं हैं.
c) छोटे बिज़नेस, जिनमें रिटेल और होलसेल व्यापारी शामिल हैं, लेकिन इसमें वे शामिल नहीं हैं, जो 31 मार्च, 2021 के अनुसार माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ की कैटेगरी में हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं का कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं है.
बशर्ते कि उधारकर्ता को दी गईं क्रेडिट सुविधाएं/उधारकर्ता पर बकाया निवेश 31 मार्च, 2021 को स्टैंडर्ड कैटेगरी में था.
नहीं, पहले रीस्ट्रक्चर किए गए उधारकर्ता अकाउंट रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत कवर नहीं होंगे. अगर पर्सनल लोन के लिए रेज़ोलूशन 1.0 के तहत लागू रीस्ट्रक्चरिंग प्लान में शून्य मोराटोरियम/2 वर्ष से कम के मोराटोरियम की अनुमति थी, तो ऐसे अकाउंट को इस स्कीम के तहत रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है, बशर्ते कुल अनुमन्य मोराटोरियम/अवधि विस्तार 2 वर्ष से अधिक न हो.
रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क – 1.0 और इस फ्रेमवर्क, दोनों के तहत दिए गए मोराटोरियम और/या बाकी अवधि के विस्तार की ऊपरी सीमा, दोनों फ्रेमवर्क को मिलाकर कुल दो वर्ष होगी.
रेज़ोलूशन प्लान में, उधारकर्ता के आय स्रोतों के मूल्यांकन के आधार पर, भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज का किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलाव, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है, लेकिन इन विकल्पों की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होगी.
भाग b. माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ (एमएसएमई) के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क
a. ऐसे एंटरप्राइज़, जो 31 मार्च, 2021 को गज़ेट नोटिफिकेशन एस.ओ. 2119 (e) तिथि 26 जून, 2020 के तहत माइक्रो, स्मॉल या मीडियम एंटरप्राइज़ हैं.
b. उधार लेने वाली इकाई रीस्ट्रक्चरिंग लागू होने की तिथि पर जीएसटी रजिस्टर्ड है. यह शर्त उन एमएसएमई पर लागू नहीं होगी, जिन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट है. इसका निर्धारण 31 मार्च, 2021 तक प्राप्त छूट सीमा के आधार पर किया जाएगा.
c. ऐसे उधारकर्ताओं पर सभी उधारदाता संस्थाओं का कुल बकाया, जिसमें नॉन-फंड आधारित सुविधाएं शामिल हैं, 31 मार्च, 2021 को ₹50 करोड़ से अधिक नहीं है.
d. उधारकर्ता का अकाउंट 31 मार्च, 2021 को 'स्टैंडर्ड एसेट' था. उधारकर्ता का अकाउंट आगे लिखे सर्कुलर के संदर्भ में रीस्ट्रक्चर नहीं किया गया था: सर्कुलर dor.no.bp.bc/4/21.04.048/2020-21 तिथि 6 अगस्त, 2020; dor.no.bp.bc.34/21. 04.048/2019-20 तिथि 11 फरवरी, 2020; या dbr.no.bp.bc.18/21.04.048/2018-19 तिथि 1 जनवरी, 2019 (सभी को एक साथ एमएसएमई रीस्ट्रक्चरिंग सर्कुलर कहा गया है) या "कोविड-19-संबंधित महामारी के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क" सर्कुलर dor.no.bp.bc/3/21.04.048/2020-21 तिथि 6 अगस्त, 2020
रेज़ोलूशन प्लान में, आईटीआर, जीएसटी रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट और कस्टमर द्वारा जमा किए गए अन्य डॉक्यूमेंट के ज़रिए उधारकर्ता के आय के स्रोतों के मूल्यांकन के आधार पर, भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज को किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलना, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है.
भाग c. दोनों फ्रेमवर्क (a और b) पर लागू सामान्य बातें
इस स्कीम के तहत 30 सितंबर, 2021 तक मिले अनुरोध शामिल लिए जाएंगे और उन्हें मिलने से 90 दिनों के भीतर लागू किया जाना चाहिए.
नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार, आपकी लोन/क्रेडिट सुविधा, क्रेडिट ब्यूरो को "कोविड-19 के कारण रीस्ट्रक्चर्ड" के रूप में सूचित की जाएगी.
कृपया ध्यान दें कि नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार, क्रेडिट ब्यूरो को रीस्ट्रक्चरिंग की सूचना उधारकर्ता के स्तर पर दी जाती है, यानी अगर उधारकर्ता ने केवल एक लोन की ही रीस्ट्रक्चरिंग करवाई है, तो भी उधारकर्ता द्वारा बैंक से ली गई सभी सुविधाओं / लोन को “रीस्ट्रक्चर्ड” की कैटेगरी में डालकर सूचित किया जाएगा.
जैसा प्रश्न #6 में स्पष्ट किया गया है, उपर्युक्त रीस्ट्रक्चरिंग में भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज को किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलना, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है, और इनमें से हर एक की अतिरिक्त लागत होती है.
नहीं, कस्टमर द्वारा चुने गए सिंगल/सभी लिंक्ड लोन अकाउंट के आधार पर एक सिंगल एप्लीकेशन फॉर्म, रीस्ट्रक्चरिंग अनुरोध के लिए पर्याप्त होगा. किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले, कोविड-19 प्रभाव से संबंधित नियामक दिशानिर्देशों और पुनर्भुगतान प्लान की व्यवहार्यता के आधार पर एप्लीकेशन का मूल्यांकन किया जाएगा.
कंपनी का निर्णय, एप्लीकेशन मिलने से 30 दिनों के भीतर कस्टमर को सूचित किया जाएगा.
नियामक और कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार, लोन स्ट्रक्चर में किसी भी बदलाव पर ओरिजिनल लोन के सभी उधारकर्ताओं/सह-उधारकर्ताओं के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं; इन बदलावों में रीस्ट्रक्चरिंग एग्रीमेंट भी शामिल है.
ब्याज पर ब्याज के रिफंड के बारे में सामान्य प्रश्न – व1.0.0
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 के एक निर्णय में यह निर्देश दिया कि मोराटोरियम अवधि के दौरान लोन पर लिया गया कंपाउंड/दंड ब्याज रिफंड किया जाए. इसके अनुसार, आरबीआई ने मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक मोराटोरियम अवधि का लाभ उठाने वाले लोन अकाउंट पर लिए गए कंपाउंड और साधारण ब्याज के बीच अंतर को रिफंड करने के लिए फाइनेंशियल संस्थानों को निर्देशित दिया. इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने अप्रैल 21 को विस्तृत दिशानिर्देश निर्धारित किए, जिनका संस्थानों को पालन करना होगा.
मार्च 2020 में आरबीआई द्वारा घोषित कोविड-19 पैकेज के भाग के रूप में (और विस्तारित मई
2020), जिन कस्टमर्स के पास 29 फरवरी 2020 को बकाया लोन था और जो 29 फरवरी 2020 को 90 डीपीडी से कम था, उन्हें 6 महीने की कुल अवधि के लिए, यानी मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक पुनर्भुगतान से एकमुश्त स्थगन की राहत दी गई थी. मोराटोरियम अवधि के दौरान, कस्टमर को लेंडर को कोई भी भुगतान करने से छूट दी गई थी. मोराटोरियम के दौरान, लेंडर ने मासिक आधार पर देय ब्याज को कम्पाउंड किया. इस प्रकार, मोराटोरियम अवधि के अंत में, बकाया लोन में, मोराटोरियम की शुरुआत में बकाया मूलधन और उस महीनों के लिए उस पर निर्धारित कंपाउंड ब्याज शामिल था, जिसके लिए मोराटोरियम का लाभ लिया गया था, जिसे "ब्याज पर ब्याज" के रूप में जाना जाता है - जो साधारण ब्याज और मोराटोरियम अवधि के दौरान लिए गए कंपाउंड ब्याज के बीच का अंतर है.
पीएनबीएचएफएल ने भी मोराटोरियम का लाभ उठाने वाले कस्टमर के लिए मोराटोरियम अवधि के लिए ब्याज लगाया था. इस निर्णय के अनुसार ब्याज पर ब्याज को रिफंड कर दिया जाएगा.
सभी "स्टैंडर्ड अकाउंट" को राहत मिलेगा. इस उद्देश्य के निर्धारण की तिथि 29 फरवरी, 2020 है. अर्थात, 29.02.2020 (“पात्र अकाउंट”) के अनुसार, पिछले देय (डीपीडी) की स्थिति 90 डीपीडी से कम होनी चाहिए.
आरबीआई सर्कुलर के तहत ये अकाउंट राहत के पात्र नहीं हैं:
- 29 फरवरी 2020 को एनपीए के रूप में वर्गीकृत अकाउंट ;
- लोन, जिन पर साधारण ब्याज लागू था;
- नवंबर'20 की एक्स-ग्रेशिया स्कीम के अनुसार अकाउंट में ब्याज पर ब्याज पहले ही रिफंड कर दिया गया है* ;
इसलिए,
- अब रिफंड उन लोन अकाउंट (29.02.2020 के अनुसार स्टैंडर्ड) में दिया जाएगा , जो अक्टूबर-नवंबर 2020 की एक्स-ग्रेशिया 1 स्कीम से शामिल नहीं हुए थे. इसमें शामिल होंगे ;
- सभी लोन* ( स्टैंडर्ड 29.02.2020 से प्रभावी) जहां एक्सपोजर (डिस्बर्समेंट) > ₹ 2 करोड़ था.
- All Loans* (standard as on 29.02.2020) where the exposure (disbursement) was<= INR 2 crore but the market exposure (basis CIBIL) was > INR 2crores.
* रिटेल और कॉर्पोरेट फाइनेंस, दोनों लोन पात्र होंगे
- लोन, चाहे वे मोराटोरियम का लाभ उठाए हों या नहीं उठाए हों, इसके लिए पात्र होंंगे. हालांकि, ब्याज पर ब्याज केवल तभी रिफंड किया जाएगा, जब ब्याज लिया गया हो. पीएनबीएचएफएल पर लागू नहीं है, क्योंकि ऐसे मामलों में ब्याज पर कोई ब्याज नहीं लिया गया था.
हां, क्योंकि लोन 29/02/2020 को स्टैंडर्ड (एनपीए नहीं) था और मोराटोरियम का लाभ उठाया था, इसलिए यह ब्याज पर ब्याज के रिफंड के लिए पात्र होगा, चाहे वह बाद में एनपीए बन गया हो.
आरबीआई सर्कुलर के तहत, ब्याज पर ब्याज का रिफंड उधारकर्ता के लिए उपलब्ध है, उसने मोराटोरियम का लाभ चाहे लिया हो या नहीं. हालांकि, आईबीए के विस्तृत दिशानिर्देशों के अनुसार, ब्याज पर ब्याज केवल तभी रिफंड किया जाएगा, जब लाभ लिया गया हो.
पीएनबीएचएफएल सामान्य लोन पर कंपाउंड ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज नहीं लेता है. इस प्रकार, जिन लोन में मोराटोरियम का लाभ नहीं लिया गया था, उन पर ब्याज पर ब्याज नहीं लगाई गई थी. इसलिए, ऐसे अकाउंट पर कोई रिफंड देय नहीं है.
मोराटोरियम अवधि के दौरान, सभी पीएनबीएचएफएल लोन अकाउंट पर दंडात्मक ब्याज शुल्क लगाना मोराटोरियम अवधि तक के लिए रोक दिया गया था. इसलिए, कोई भी रिफंड/माफी प्रोसेस नहीं होगी.
- ब्याज पर ब्याज की गणना दैनिक बैलेंस पर की गई है. मोराटोरियम अवधि के दौरान कोई भी आगामी डिस्बर्समेंट/प्रीपेमेंट को गणना में शामिल किया गया है.
- ब्याज पर ब्याज की गणना के लिए विशिष्ट तिथि पर लागू वास्तविक ब्याज दर का उपयोग किया गया है. मोराटोरियम अवधि के दौरान दर हुए किसी भी बदलाव को गणना में शामिल किया गया है.
- ब्याज पर ब्याज केवल उस सीमा तक रिफंड की जाएगी, जिस सीमा तक वह ली गई है. आंशिक मोराटोरियम मामलों (ऐसे कस्टमर, जिन्होंने 6 महीनों से कम का मोराटोरियम लिया था) और फोरक्लोज़ किए गए (मोराटोरियम अवधि के दौरान पूरी तरह चुका दिए गए) मामलों में, मोराटोरियम की केवल उस अवधि के ब्याज पर ब्याज रिफंड होगी, जब कंपाउंड ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज लगाई गई थी और लोन चालू था.
चालू लोन अकाउंट के मामले में, अंतर की राशि को उधारकर्ता द्वारा भविष्य में देय राशियों के साथ एडजस्ट करके प्रीपेमेंट के रूप में लाभ दिया जाता है.
क्लोज़्ड लोन अकाउंट के मामले में, हमारे रिकॉर्ड में मौजूद उधारकर्ता के पुनर्भुगतान अकाउंट में लाभ राशि रिफंड की जाएगी.
भाग a. व्यक्तियों और छोटे बिज़नेस के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क
a) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने पर्सनल लोन लिया है, और इसमें अचल संपत्तियों (जैसे, हाउसिंग, आदि) के निर्माण/की वृद्धि के लिए दिए गए लोन शामिल हैं.
b) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने बिज़नेस के लिए लोन और एडवांस लिए हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं के कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं हैं.
c) छोटे बिज़नेस, जिनमें रिटेल और होलसेल व्यापारी शामिल हैं, लेकिन इसमें वे शामिल नहीं हैं, जो 31 मार्च, 2021 के अनुसार माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ की कैटेगरी में हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं का कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं है.
बशर्ते कि उधारकर्ता को दी गईं क्रेडिट सुविधाएं/उधारकर्ता पर बकाया निवेश 31 मार्च, 2021 को स्टैंडर्ड कैटेगरी में था.
नहीं, पहले रीस्ट्रक्चर किए गए उधारकर्ता अकाउंट रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत कवर नहीं होंगे. अगर पर्सनल लोन के लिए रेज़ोलूशन 1.0 के तहत लागू रीस्ट्रक्चरिंग प्लान में शून्य मोराटोरियम/2 वर्ष से कम के मोराटोरियम की अनुमति थी, तो ऐसे अकाउंट को इस स्कीम के तहत रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है, बशर्ते कुल अनुमन्य मोराटोरियम/अवधि विस्तार 2 वर्ष से अधिक न हो.
रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क – 1.0 और इस फ्रेमवर्क, दोनों के तहत दिए गए मोराटोरियम और/या बाकी अवधि के विस्तार की ऊपरी सीमा, दोनों फ्रेमवर्क को मिलाकर कुल दो वर्ष होगी.
रेज़ोलूशन प्लान में, उधारकर्ता के आय स्रोतों के मूल्यांकन के आधार पर, भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज का किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलाव, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है, लेकिन इन विकल्पों की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होगी.
रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क 2.0 से जुड़े सामान्य प्रश्न
संबंधित आरबीआई सर्कुलर के माध्यम से 5 मई, 2021 को घोषित इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य एमएसएमई के रूप में रजिस्टर्ड उन व्यक्तियों, छोटे बिज़नेस और इकाइयों को राहत देना है, जिनका कामकाज अधिकतर राज्यों में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और फिर उसके बाद लॉकडाउन के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है.
भाग a. व्यक्तियों और छोटे बिज़नेस के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क
a) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने पर्सनल लोन लिया है, और इसमें अचल संपत्तियों (जैसे, हाउसिंग, आदि) के निर्माण/की वृद्धि के लिए दिए गए लोन शामिल हैं.
b) ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने बिज़नेस के लिए लोन और एडवांस लिए हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं के कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं हैं.
c) छोटे बिज़नेस, जिनमें रिटेल और होलसेल व्यापारी शामिल हैं, लेकिन इसमें वे शामिल नहीं हैं, जो 31 मार्च, 2021 के अनुसार माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ की कैटेगरी में हैं और जिन पर 31 मार्च, 2021 को उधारदाता संस्थाओं का कुल ₹50 करोड़ से अधिक बकाया नहीं है.
बशर्ते कि उधारकर्ता को दी गईं क्रेडिट सुविधाएं/उधारकर्ता पर बकाया निवेश 31 मार्च, 2021 को स्टैंडर्ड कैटेगरी में था.
नहीं, पहले रीस्ट्रक्चर किए गए उधारकर्ता अकाउंट रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत कवर नहीं होंगे. अगर पर्सनल लोन के लिए रेज़ोलूशन 1.0 के तहत लागू रीस्ट्रक्चरिंग प्लान में शून्य मोराटोरियम/2 वर्ष से कम के मोराटोरियम की अनुमति थी, तो ऐसे अकाउंट को इस स्कीम के तहत रीस्ट्रक्चर किया जा सकता है, बशर्ते कुल अनुमन्य मोराटोरियम/अवधि विस्तार 2 वर्ष से अधिक न हो.
रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क – 1.0 और इस फ्रेमवर्क, दोनों के तहत दिए गए मोराटोरियम और/या बाकी अवधि के विस्तार की ऊपरी सीमा, दोनों फ्रेमवर्क को मिलाकर कुल दो वर्ष होगी.
रेज़ोलूशन प्लान में, उधारकर्ता के आय स्रोतों के मूल्यांकन के आधार पर, भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज का किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलाव, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है, लेकिन इन विकल्पों की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होगी.
भाग b. माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ (एमएसएमई) के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क
a. ऐसे एंटरप्राइज़, जो 31 मार्च, 2021 को गज़ेट नोटिफिकेशन एस.ओ. 2119 (e) तिथि 26 जून, 2020 के तहत माइक्रो, स्मॉल या मीडियम एंटरप्राइज़ हैं.
b. उधार लेने वाली इकाई रीस्ट्रक्चरिंग लागू होने की तिथि पर जीएसटी रजिस्टर्ड है. यह शर्त उन एमएसएमई पर लागू नहीं होगी, जिन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट है. इसका निर्धारण 31 मार्च, 2021 तक प्राप्त छूट सीमा के आधार पर किया जाएगा.
c. ऐसे उधारकर्ताओं पर सभी उधारदाता संस्थाओं का कुल बकाया, जिसमें नॉन-फंड आधारित सुविधाएं शामिल हैं, 31 मार्च, 2021 को ₹50 करोड़ से अधिक नहीं है.
d. उधारकर्ता का अकाउंट 31 मार्च, 2021 को 'स्टैंडर्ड एसेट' था. उधारकर्ता का अकाउंट आगे लिखे सर्कुलर के संदर्भ में रीस्ट्रक्चर नहीं किया गया था: सर्कुलर dor.no.bp.bc/4/21.04.048/2020-21 तिथि 6 अगस्त, 2020; dor.no.bp.bc.34/21. 04.048/2019-20 तिथि 11 फरवरी, 2020; या dbr.no.bp.bc.18/21.04.048/2018-19 तिथि 1 जनवरी, 2019 (सभी को एक साथ एमएसएमई रीस्ट्रक्चरिंग सर्कुलर कहा गया है) या "कोविड-19-संबंधित महामारी के लिए रेज़ोलूशन फ्रेमवर्क" सर्कुलर dor.no.bp.bc/3/21.04.048/2020-21 तिथि 6 अगस्त, 2020
रेज़ोलूशन प्लान में, आईटीआर, जीएसटी रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट और कस्टमर द्वारा जमा किए गए अन्य डॉक्यूमेंट के ज़रिए उधारकर्ता के आय के स्रोतों के मूल्यांकन के आधार पर, भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज को किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलना, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है.
भाग c. दोनों फ्रेमवर्क (a और b) पर लागू सामान्य बातें
इस स्कीम के तहत 30 सितंबर, 2021 तक मिले अनुरोध शामिल लिए जाएंगे और उन्हें मिलने से 90 दिनों के भीतर लागू किया जाना चाहिए.
नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार, आपकी लोन/क्रेडिट सुविधा, क्रेडिट ब्यूरो को "कोविड-19 के कारण रीस्ट्रक्चर्ड" के रूप में सूचित की जाएगी.
कृपया ध्यान दें कि नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार, क्रेडिट ब्यूरो को रीस्ट्रक्चरिंग की सूचना उधारकर्ता के स्तर पर दी जाती है, यानी अगर उधारकर्ता ने केवल एक लोन की ही रीस्ट्रक्चरिंग करवाई है, तो भी उधारकर्ता द्वारा बैंक से ली गई सभी सुविधाओं / लोन को “रीस्ट्रक्चर्ड” की कैटेगरी में डालकर सूचित किया जाएगा.
जैसा प्रश्न #6 में स्पष्ट किया गया है, उपर्युक्त रीस्ट्रक्चरिंग में भुगतानों का पुनर्निर्धारण, लागू या लागू होने वाली ब्याज को किसी अन्य क्रेडिट सुविधा में बदलना, अतिरिक्त अवधि की सुविधा, या मोराटोरियम देना शामिल हो सकता है, और इनमें से हर एक की अतिरिक्त लागत होती है.
नहीं, कस्टमर द्वारा चुने गए सिंगल/सभी लिंक्ड लोन अकाउंट के आधार पर एक सिंगल एप्लीकेशन फॉर्म, रीस्ट्रक्चरिंग अनुरोध के लिए पर्याप्त होगा. किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले, कोविड-19 प्रभाव से संबंधित नियामक दिशानिर्देशों और पुनर्भुगतान प्लान की व्यवहार्यता के आधार पर एप्लीकेशन का मूल्यांकन किया जाएगा.
कंपनी का निर्णय, एप्लीकेशन मिलने से 30 दिनों के भीतर कस्टमर को सूचित किया जाएगा.
नियामक और कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार, लोन स्ट्रक्चर में किसी भी बदलाव पर ओरिजिनल लोन के सभी उधारकर्ताओं/सह-उधारकर्ताओं के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं; इन बदलावों में रीस्ट्रक्चरिंग एग्रीमेंट भी शामिल है.
ब्याज पर ब्याज की माफी व1.2.0 से जुड़े सामान्य प्रश्न
भारत सरकार ने कंज़्यूमर लोन पर 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक लगाई गई "ब्याज पर ब्याज" को माफ करने का निर्णय लिया है. इससे रिटेल और एमएसएमई कर्ज़दारों को बड़ी राहत मिलेगी. डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज़ ने 23 अक्टूबर, 2020 की अपनी अधिसूचना के माध्यम से, ₹2 करोड़ तक के लोन के छः महीनों के कंपाउंड ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर के एक्स-ग्रेशिया भुगतान की स्कीम पेश की है
जिन उधारकर्ताओं ने मोराटोरियम का लाभ लिया है, उन्हें बैंकों द्वारा लगाई जाने वाले कंपाउंड ब्याज की भरपाई दी जाएगी, वहीं समय पर भुगतान करने वालों को उनके द्वारा भुगतान किए गए ब्याज पर निर्धारित ब्याज कैशबैक के रूप में मिलेगा.
a) ऐसे उधारकर्ता, जिनके पास स्वीकृत सीमाओं वाले लोन अकाउंट हैं और जिनकी बकाया राशि 29 फरवरी तक ₹2 करोड़ (उधारदाता संस्थानों से ली गईं सभी सुविधाओं की कुल राशि) से अधिक नहीं है, वे इस स्कीम के पात्र होंगे
b) हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन, क्रेडिट कार्ड की देय राशि, ऑटो लोन, एमएसएमई लोन, कंज़्यूमर ड्यूरेबल लोन और कंज़्म्प्शन लोन इस स्कीम के तहत कवर किए जाते हैं
c) लोन अकाउंट 29 फरवरी, 2020 को स्टैंडर्ड अकाउंट होना चाहिए. स्टैंडर्ड एसेट का मतलब यह है कि 29/02/2020 को लोन 90डीपीडी से कम हो
d) भुगतान उधारकर्ता के लोन अकाउंट में होगा, चाहे उधारकर्ता ने मोराटोरियम का पूरा लाभ लिया हो, आंशिक लाभ लिया हो, या लाभ लिया ही न हो. इसलिए, अगर आपने मोराटोरियम नहीं चुना है तो भी आप इस स्कीम के तहत पात्र हैं.
ब्यूरो डेटा यानी सिबिल डेटा चेक करके बकाया लोन की गणना होगी. अगर सिबिल स्कोर > 2 करोड़ का कुल बकाया दिखाता है, तो एक्स ग्रेशिया का लाभ नहीं मिलेगा.
इस स्कीम के अनुसार, उधारदाता संस्थान उक्त अवधि के कंपाउंड ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर को पात्र उधारकर्ताओं से संबंधित अकाउंट में जमा करेंगे, चाहे उधारकर्ता ने 27 मार्च, 2020 को आरबीआई द्वारा घोषित लोन पुनर्भुगतान के मोराटोरियम का पूरा लाभ लिया हो या आंशिक लाभ लिया हो.
इस स्कीम के तहत, 1 मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 (छह महीने/184 दिन) की अवधि के कंपाउंड ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर को उधारकर्ता के लोन अकाउंट में जमा किया जाएगा.
अगर आपने छह महीने का मोराटोरियम चुना है, तो आपकी ईएमआई का ब्याज वाला हिस्सा बकाया मूलधन में जोड़ा जाएगा और फिर शेष लोन अवधि के लिए नई ईएमआई की गणना की जाएगी. आमतौर पर, ब्याज की गणना कंपाउंड आधार पर की जाती है, यानी आपको मूलधन पर लगी ब्याज पर भी ब्याज का भुगतान करना होता है. माफी स्कीम के तहत, उधारकर्ता को मोराटोरियम अवधि के दौरान बकाया लोन राशि पर कंपाउंड ब्याज की बजाए साधारण ब्याज का भुगतान करना होता है, यानी उधारकर्ता पर ब्याज का कम बोझ पड़ता है. साधारण ब्याज (जो स्कीम के तहत लागू की गई है) और कंपाउंड ब्याज (जो बैंक आमतौर पर लगाते हैं) के अंतर को सरकार वहन करेगी, चाहे उधारकर्ता ने मोराटोरियम का लाभ लिया हो या नहीं. इससे उन उधारकर्ता को भी लाभ होगा, जिन्होंने मोराटोरियम अवधि में भी पूरी मेहनत करके अपनी ईएमआई चुकाई थीं.
उदाहरण:
मान लें कि 29/02/2020 को बकाया लोन है: ₹50,00,000
दर: 9% प्रति वर्ष
1 महीने की साधारण ब्याज: 50,00,000 x 9% / 12 = ₹37,500
6 महीनों की साधारण ब्याज: 37,500 x 6 = ₹2,25,000
6 महीने के लिए कंपाउंड ब्याज :{5000000 x (1 + (9%/12)) ^ 6} – 5000000
= ₹2,29,262
अंतर (b-c) = ₹2,29,262 – ₹2,25,000
= ₹ 4,262
भारत सरकार के दिशानिर्देशों ने इस स्कीम को बहुत आसान बना दिया है. 29 फरवरी, 2020 को बकाया मूलधन ही वह राशि है, जिस पर एक्स ग्रेशिया लाभ की गणना की जाएगी. 29 फरवरी, 2020 के बाद अकाउंट में किए गए किसी भी आंशिक भुगतान/आगामी डिस्बर्समेंट को गणना में शामिल नहीं किया जाएगा.
जिन्होंने मोराटोरियम के दौरान अपने लोन की देय राशि मार्च से अगस्त 2020 के बीच फोरक्लोज़/प्रीक्लोज़/क्लोज़ की है, वे भी इस लाभ के पात्र होंगे. ब्याज लाभ गणना की अवधि 01 मार्च, 2020 से लेकर लोन क्लोज़र की तिथि तक सीमित रहेगी.
29 फरवरी, 2020 को लागू ब्याज दर ही वह ब्याज दर होगी, जिस पर गणना (कंपाउंड ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर) की जाएगी (जैसा प्रश्न सं. 4 के उत्तर में दिए गए उदाहरण में है).
5 नवंबर, 2020 तक राशि उधारकर्ता के लोन अकाउंट में जमा कर दी जाएगी. अगर लोन अकाउंट बंद हो चुका है, तो राशि उधारकर्ता के सेविंग बैंक अकाउंट में 05 नवंबर, 2020 तक जमा कर दी जाएगी.
चालू लोन अकाउंट के लिए, एक्स ग्रेशिया भुगतान को कस्टमर के लोन अकाउंट में प्रीपेमेंट के रूप में जमा किया जाएगा.
बंद लोन के लिए, भुगतान को कस्टमर के पुनर्भुगतान बैंक अकाउंट में एनईएफटी/चेक से जमा किया जाएगा
लोन की ईएमआई वही रहेगी, जो (अगस्त 2020 के बाद) मौजूदा ईएमआई है. लोन अकाउंट में एक्स ग्रेशिया भुगतान जमा होने से शेष अवधि घटेगी.
कस्टमर पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन
डिपॉजिट और लोन अकाउंट के विवरण कस्टमर पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं. वेब वर्ज़न को वेबसाइट के माध्यम से "कस्टमर लॉग-इन" पर क्लिक करके एक्सेस किया जा सकता है और मोबाइल एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर (एंड्रॉयड के लिए) और ऐप स्टोर (आईओएस के लिए) से डाउनलोड किया जा सकता है. आसान ऑनलाइन सेवाओं का लाभ लेने के लिए यूज़र अपनी यूज़र आईडी और पासवर्ड बना सकते हैं. यह एक सिंगल विंडो इंटरफेस है, जहां बटन को क्लिक करने पर महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे "आईटी सर्टिफिकेट, ईएमआई भुगतान स्टेटस आदि.” प्राप्त होती है
कस्टमर लॉग-इन लिंक: https://customerservice.pnbhousing.com/myportal/pnbhfllogin
कस्टमर जब चाहे तब निम्नलिखित को एक्सेस कर सकते हैं:
1. अकाउंट स्टेटमेंट डाउनलोड करना
2. आईटी सर्टिफिकेट डाउनलोड करना
3. पुराने ट्रांजैक्शन का विवरण देखें
4. ईमेल एड्रेस अपडेट करें
5. सर्विस रिक्वेस्ट दर्ज और ट्रैक करना
6. आगामी डिस्बर्समेंट के लिए अप्लाई करना
कस्टमर जब चाहे तब निम्नलिखित को एक्सेस कर सकते हैं:
1. अकाउंट स्टेटमेंट डाउनलोड करना
2. ब्याज सर्टिफिकेट डाउनलोड करना
3. फॉर्म 15जी/एच ऑनलाइन जमा करना
4. ईमेल एड्रेस अपडेट करें
5. सर्विस रिक्वेस्ट दर्ज और ट्रैक करना
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाय) : सामान्य प्रश्न
- कोई लाभार्थी परिवार, जिनके पास भारत में कहीं भी घर नहीं है, वे ईडब्ल्यूएस/एलआईजी/एमआईजी-1 और एमआईजी-2 के लिए विभिन्न स्कीम के तहत परिवार के लिए निर्धारित आय मानदंडों के अनुसार इस सब्सिडी के लिए पात्र हैं.
- इस स्कीम के माध्यम से लाभार्थी घर की खरीद/घर के निर्माण पर/निवास इकाई की वृद्धि पर ब्याज सब्सिडी पाने के लिए पात्र हैं.
- अधिक जानकारी के लिए, कृपया पीएमएवाय वाला सेक्शन देखें
कस्टमर अपनी एप्लीकेशन आईडी का उपयोग करके लिंक https://pmayuclap.gov.in/ के माध्यम से अपने पीएमएवाय एप्लीकेशन का स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं.
सामान्य प्रश्न : कस्टमर सर्विस
हां, होम लोन प्रीपेड हो सकता है. आप किसी भी निकटतम पीएनबी हाउसिंग ब्रांच में चेक के माध्यम से पार्ट पेमेंट कर सकते हैं. चेक "पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड" के पक्ष में किसी भी एप्लीकेंट के बैंक अकाउंट से ही होना चाहिए. सोमवार से शुक्रवार तक, महीने की 6 तारीख से 24 तारीख तक पार्ट प्री-पेमेंट कर सकते हैं. लोन पर लागू प्री-पेमेंट शुल्क के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट www.pnbhousing.com पर " फेयर प्रैक्टिस कोड" सेक्शन के तहत शुल्क शिड्यूल देखें
हां, वास्तविक अवधि पूरी होने से पहले बकाया लोन का प्री-पेमेंट किया जा सकता है. इसके प्रोसेस के रूप में आपको ब्रांच में लिखित एप्लीकेशन सबमिट करना होगा. कृपया ध्यान दें कि एप्लीकेशन को सर्विस फीस (शुल्कों का शिड्यूल देखें) के साथ उधारकर्ता द्वारा स्वयं सबमिट किया जाना है. फुल प्री-पेमेंट केवल महीने के 6th से लेकर 24th तारीख तक के बीच किया जा सकता है. लोन पर लागू प्री-क्लोज़र शुल्क देखने के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट www.pnbhousing.com पर "फेयर प्रैक्टिस कोड" सेक्शन के तहत शुल्क का शिड्यूल देखें.
इनकम टैक्स सर्टिफिकेट का लाभ यहां से लिया जा सकता है: 1. हमारी आईवीआर सर्विसेज़ 1800 120 8800 पर कॉल करके 2. हमारी मोबाइल एप्लीकेशन 3. हमारी वेबसाइट https://customerservice.pnbhousing.com/myportal/pnbhfllogin पर जाकर. ऊपर दर्ज सर्टिफिकेट पर शुल्क लागू नहीं है. अगर सर्टिफिकेट किसी अन्य स्रोत से लिया जाता है, तो मामूली सेवा शुल्क लागू होगा. कृपया हमारी वेबसाइट www.pnbhousing.com पर "फेयर प्रैक्टिस कोड" सेक्शन के तहत शुल्क शिड्यूल देखें
अकाउंट स्टेटमेंट का लाभ यहां से लिया जा सकता है: 1. हमारी आईवीआर सर्विसेज़ 1800 120 8800 पर कॉल करके 2. हमारी मोबाइल एप्लीकेशन 3. हमारी वेबसाइट https://customerservice.pnbhousing.com/myportal/pnbhfllogin पर जाकर. ऊपर दर्ज सर्टिफिकेट पर शुल्क लागू नहीं है. अगर सर्टिफिकेट किसी अन्य स्रोत से लिया जाता है, तो मामूली सेवा शुल्क लागू होगा. कृपया हमारी वेबसाइट www.pnbhousing.com पर "फेयर प्रैक्टिस कोड" सेक्शन के तहत शुल्क शिड्यूल देखें
पुनर्भुगतान शिड्यूल का लाभ यहां से लिया जा सकता है: 1. हमारी मोबाइल एप्लीकेशन 2. हमारी वेबसाइट https://customerservice.pnbhousing.com/myportal/pnbhfllogin पर जाकर. ऊपर दर्ज सर्टिफिकेट पर शुल्क लागू नहीं है. अगर सर्टिफिकेट किसी अन्य स्रोत से लिया जाता है, तो मामूली सेवा शुल्क लागू होगा. कृपया हमारी वेबसाइट www.pnbhousing.com पर "फेयर प्रैक्टिस कोड" सेक्शन के तहत शुल्क शिड्यूल देखें
आप सोमवार से शनिवार (1st और 2nd शनिवार को छोड़कर) तक 10am से 2pm के बीच हमारी ब्रांच में जा सकते हैं. कृपया https://www.pnbhousing.com/book-an-appointment/ के माध्यम से हमारी ब्रांच में जाने से पहले अपॉइंटमेंट बुक करना सुनिश्चित करें.
1. एनएसीएच के माध्यम से लोन के पुनर्भुगतान को वरीयता दी जाती है. इसके फॉर्म हमारी ब्रांच में उपलब्ध हैं. एनएसीएच रजिस्ट्रेशन के लिए पीएनबी एचएफएल की किसी भी ब्रांच में 2 पीडीसी के साथ कैंसल चेक जमा करना होगा. रजिस्ट्रेशन में आमतौर पर 45 दिन लगते हैं.
2. या फिर, अगर पीडीसी की फिर से पूर्ति करनी हो, तो विलंबित भुगतान शुल्क से बचने के लिए, कृपया ईएमआई की देय तिथि से पहले अपनी नज़दीकी पीएनबी एचएफएल ब्रांच में पोस्ट डेटेड चेक जमा करें
डिस्बर्समेंट के लिए आपका अनुरोध मिलने के बाद हम लोन पूरा एक बार में या आमतौर पर अधिकतम तीन किस्तों में डिस्बर्स करेंगे. निर्माणाधीन प्रॉपर्टी के मामले में हम निर्माण की प्रगति के आधार पर किश्तों में लोन का डिस्बर्समेंट करेंगे. निर्माण की प्रगति का मूल्यांकन हमारे द्वारा किया जाएगा, इस मामले में डेवलपर के साथ हुए एग्रीमेंट को माना जाए यह ज़रूरी नहीं होगा.
हां, एफडी की ओरिजिनल अवधि से पहले एफडी राशि निकाली (इसे प्री-मेच्योर विड्रॉल कहते हैं) जा सकती है. हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज़ (एनएचबी) डायरेक्शंस, 2010 के प्रावधानों के अनुसार, और डिपॉजिटर द्वारा अनुरोध किए जाने पर, निम्नलिखित शर्तों के तहत डिपॉजिट को समय से पहले निकालने की अनुमति दी जा सकती है:
डिपॉजिट की तारीख से बीता समय | व्यक्तिगत | गैर-व्यक्तिगत |
---|---|---|
(a) न्यूनतम लॉक-इन अवधि | 3 महीने | 3 महीने |
(b) तीन महीने के बाद लेकिन छह महीने से पहले | 4% प्रति वर्ष. | कोई ब्याज नहीं |
(c) छह महीने के बाद, लेकिन मेच्योरिटी की तिथि से पहले | व्यक्तियों और गैर-व्यक्तियों को देय ब्याज की दर, डिपॉजिट की अवधि के लिए पब्लिक डिपॉजिट पर लागू ब्याज दर से 1% प्रतिशत कम होगी.
|
अगर डिपॉजिट किसी अधिकृत डिपॉजिट ब्रोकर के माध्यम से किया गया है, तो चुकाया गया अतिरिक्त ब्रोकरेज डिपॉजिट राशि से वसूला जाएगा. अतिरिक्त ब्रोकरेज, ओरिजिनल कॉन्ट्रैक्ट अवधि के ब्रोकरेज और डिपॉजिट की अवधि के ब्रोकरेज का अंतर होता है.
अगर एक फाइनेंशियल वर्ष में सभी डिपॉजिट से कस्टमर की कुल ब्याज आय ₹5,000/- से अधिक है, तो डिपॉजिटर टीडीएस का देनदार हो जाता है. कस्टमर फॉर्म 15जी (व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए) /15 एच (60 वर्ष या अधिक की आयु वाले सीनियर सिटीज़न के लिए) या इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 197 के तहत इनकम टैक्स अथॉरिटीज़ द्वारा जारी कम/शून्य टीडीएस कटौती का सर्टिफिकेट जमा कर सकता है. एनआरआई के मामले में, फाइनेंशियल वर्ष के दौरान चुकाई गई/जमा की गई ब्याज से टीडीएस कटेगा, चाहे उसकी राशि कुछ भी हो.
अगर इनकम टैक्स वेबसाइट पर पैन नॉन-कंप्लाएंट स्टेटस में है, तो आईटी एक्ट के सेक्शन 206एबी के तहत दोगुनी दर पर टीडीएस कटेगा और कोई छूट नहीं दी जाएगी.
हां, पीएनबी हाउसिंग के एफडी के साथ नॉमिनेशन सुविधा उपलब्ध है.
हां, नेशनल हाउसिंग बैंक के निर्देशों के अनुसार, डिपॉजिटर को रिन्यूअल के समय एप्लीकेशन फॉर्म के साथ विधिवत डिस्चार्ज की गई डिपॉजिट रसीद देनी होगी.
एक बार रिन्यूअल के लिए ऑटो रिन्यूअल उपलब्ध है. उसके बाद किसी भी अन्य रिन्यूअल के लिए, नया एप्लीकेशन आवश्यक है.
जनसांख्यिकीय विवरण में बदलाव के लिए, रजिस्टर्ड ईमेल आईडी से ईमेल के ज़रिए या कंपनी की वेबसाइट पर कस्टमर केयर हमसे संपर्क करें सेक्शन में अनुरोध करके पीएनबी हाउसिंग ब्रांच ऑफिस को सूचित किया जा सकता है.
अगर डिपॉजिट रसीद खो जाती है/खराब हो जाती है, तो डिपॉजिटर को डुप्लीकेट डिपॉजिट रसीद जारी कराने के लिए एप्लीकेशन और इन्डेम्निटी फॉर्म जमा करने होंगे.
-
अगर डिपॉज़िटर की मृत्यु के मामले में, पुनर्भुगतान के विकल्प में ‘कोई एक या सरवाइवर’ को चुना गया है, तो डिपॉज़िट राशि नॉमिनी/संयुक्त धारक को दी जाएगी.
अन्य मामलों में, कानूनी उत्तराधिकारियों को उत्तराधिकार सर्टिफिकेट/प्रमाणित वसीयत और क्षतिपूर्ति बॉन्ड (निर्धारित प्रारूप में) प्रस्तुत करने होंगे. अगर पीएनबी हाउसिंग संतुष्ट है, तो वह क्लेम सेटल करेगा.
मनी लॉन्डरिंग रोकथाम अधिनियम 2002 के संदर्भ में, इसके तहत दर्ज नियमों और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा जारी किए गए केवाईसी दिशानिर्देशों के तहत, प्रत्येक डिपॉजिटर को निम्नलिखित डॉक्यूमेंट सबमिट करके केवाईसी आवश्यकताओं का पालन करना होगा:
लेटेस्ट फोटो.
आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि पहचान के प्रमाण की प्रमाणित कॉपी.
पते के प्रमाण की प्रमाणित कॉपी, कॉर्पोरेट के मामले में यह इनकॉर्पोरेशन सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन नं. / ट्रस्ट डीड होगा.
कस्टमर संबंधी जानकारी
पीएनबी हाउसिंग के बारे में
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