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भारत में फिक्स्ड डिपॉजिट के प्रकार और बेस्ट फिक्स्ड डिपॉजिट कैसे चुनें?

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फिक्स्ड डिपॉजिट उन लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट का बेहतरीन विकल्प है, जो जोखिम से बचना चाहते हैं और पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं. इसमें उन्हें एक निश्चित ब्याज दर पर निश्चित समय के लिए अपने पैसे इन्वेस्ट करने की सुविधा मिलती है. फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दर अवधि के आधार पर पूर्वनिर्धारित होती हैं. सीनियर सिटीज़न के लिए ब्याज दरें थोड़ी अधिक होती हैं, और यह प्रतिशत फाइनेंशियल संस्थान के विवेकाधीन होती हैं.

डिपॉजिटर जब फिक्स्ड डिपॉजिट पात्रता मानदंड को पूरा करते हुए फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट को जमा कर देते हैं, तो इसके बाद निर्धारित अवधि के लिए उनके पैसे लॉक हो जाते हैं.

अगर किसी भी कारण से डिपॉजिटर को अपनी एफडी लॉक-इन अवधि खत्म होने से पहले तोड़नी पड़ती है, तो समय से पहले निकासी करने पर ज़ुर्माना लगाया जाता है और डिपॉजिटर को ब्याज का कुछ अंश खोना पड़ता है. पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस जैसे एचएफसी में लॉक-इन अवधि 3 महीने है.

फिक्स्ड डिपॉजिट के विभिन्न प्रकार

फाइनेंशियल संस्थान विभिन्न प्रकार के फिक्स्ड डिपॉजिट प्रदान करते हैं. इनके कुछ सामान्य प्रकार इस तरह से हैं:

1. साधारण फिक्स्ड डिपॉजिट

लगभग हर फाइनेंशियल संस्थान अपने कस्टमर के लिए इस तरह के फिक्स्ड डिपॉजिट प्रदान करते हैं. जब डिपॉजिटर साधारण फिक्स्ड डिपॉजिट का चयन करते हैं, तब उनके पैसों को निश्चित अवधि के लिए इन्वेस्ट किया जाता है और डिपॉजिट की गई एफडी की अवधि के अनुसार उन्हें फिक्स्ड ब्याज दर प्राप्त होता है.

इनकी सामान्य विशेषताएं निम्न हैं:

  • फिक्स्ड करने की अवधि सात दिनों से लेकर दस वर्षों तक होती है. एचएफसी एफडी में अवधि 1 वर्ष से लेकर 10 वर्षों के बीच होती है.
  • पूर्व-निर्धारित ब्याज दर जो मार्केट के उतार-चढ़ाव के कारण बदलाव के अधीन नहीं होती है
  • सेविंग अकाउंट डिपॉजिट की तुलना में एफडी में अधिक ब्याज दर.

2. टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (केवल बैंक और पोस्ट ऑफिस एफडी पर लागू)

टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में डिपॉजिटर को अपने पैसे कम से कम पांच वर्षों के लिए इन्वेस्ट करने होते हैं. टैक्स-सेविंग एफडी में इन्वेस्ट की गई राशि, इनकम टैक्स एक्ट के 80सी सेक्शन के तहत टैक्स छूट के योग्य होती है. इस एफडी पर अर्जित ब्याज टैक्स कटौती के योग्य होती है.

इसकी कुछ सामान्य विशेषताएं निम्न हैं:

  • पांच वर्षों की न्यूनतम लॉक-इन अवधि
  • ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट
  • केवल लंपसम डिपॉजिट ही किए जा सकते हैं

जरुर पढ़ा होगा: फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट ऑनलाइन कैसे खोलें?

3. विशेष फिक्स्ड डिपॉजिट

इन एफडी को ‘विशेष’ कहा जाता है, क्योंकि ये विशेष अवधियों के लिए उपलब्ध होती हैं. यह अवधि कितने भी दिनों (बैंक द्वारा पेश की गई अवधि के अनुसार) की हो सकती है, जैसे कि 290 या 390 दिनों तक की हो सकती है. विशेष एफडी पर अधिक ब्याज दर होने के कारण ये एक लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट विकल्प हैं. विशेष फिक्स्ड डिपॉजिट की विशेषताएं निम्न हैं:

  • किसी विशिष्ट अवधि के लिए इन्वेस्टमेंट.
  • अवधि समाप्त होने तक पैसे नहीं निकाले जा सकते हैं
  • विशेष फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें, साधारण फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों से अधिक होती हैं

4. संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट

इन एफडी पर ब्याज चुनी गई अवधि के अनुसार कंपाउंड होता जाता है. मेच्योरिटी पर, इन्वेस्ट की गई राशि में ब्याज जोड़ दिया जाता है.

5. गैर-संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट

संचयी एफडी के विपरीत, यहां ब्याज का भुगतान नियमित अंतराल पर किया जाता है.

इसकी कुछ विशेषताएं निम्न हैं:

  • एफडी खोलते समय जो अवधि सेट की गई थी, उसके आधार पर ब्याज का भुगतान किया जाता है – इसका भुगतान वार्षिक, मासिक, अर्धवार्षिक या प्रत्येक तिमाही पर किया जाता है.
  • इस तरह का इन्वेस्टमेंट रिटायर लोगों या पेंशनभोगियों के लिए बहुत ही उपयुक्त होता है, क्योंकि इससे उन्हें नियमित रूप से फंड मिलते रहते हैं.

6. सीनियर सिटीज़न फिक्स्ड डिपॉजिट

जैसे कि इसके नाम से ही पता लगता है कि यह एफडी विशेष रूप से उन सीनियर सिटीज़न के लिए होती है, जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है.

सीनियर सिटीज़न के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट की विशेषताएं निम्न हैं:

  • सीनियर सिटीज़न के लिए ब्याज दर, साधारण एफडी की ब्याज दरों की तुलना में लगभग 0.25% से लेकर 0.75% तक अधिक होती है. पीएनबी हाउसिंग सीनियर सिटीज़न के लिए 0.25% की अतिरिक्त आरओआई पेश करता है.
  • सुविधाजनक अवधि

सर्वश्रेष्ठ फिक्स्ड डिपॉजिट कैसे चुनें?

सर्वश्रेष्ठ फिक्स्ड डिपॉजिट चुनते समय डिपॉजिटर को कुछ बिंदुओं का मूल्यांकन अवश्य करना चाहिए:

1. फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि

एफडी की ब्याज दरें अवधि के अनुसार बदलती रहती हैं ; जितनी इसकी अवधि अधिक होगी, उतनी अधिक ब्याज दर होगी. लंबी अवधि के एफडी अच्छे होते हैं, लेकिन डिपॉजिट की गई राशि के लंबी अवधि तक लॉक होने के कारण इन्वेस्टर को लिक्विडिटी में रुकावट आती है. इसलिए डिपॉजिटर को फाइनेंशियल स्थिति और लक्ष्यों के आधार पर ऐसी एफडी को चुनना चाहिए, जो उन्हें सुविधाजनक अवधि प्रदान करे.

2. मेच्योरिटी से पहले निकासी करने पर लागू शर्तें

फिक्स्ड डिपॉजिट चुनने से पहले, समय से पहले निकासी की शर्तों और उस पर लगने वाले दंड का मूल्यांकन करने की सलाह दी जाती है. उनके पास कम शुल्क पर अपनी एफडी को लिक्विडेट करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए.

जरुर पढ़ा होगा: टर्म डिपॉजिट के बारे में वह सब कुछ, जो आपको पता होना चाहिए

3. ब्याज दर

एफडी खोलने का मुख्य उद्देश्य उन पर ब्याज कमाना होता है. ऐसे फाइनेंशियल संस्थानों का चयन करें, जो प्रतिस्पर्धी एफडी ब्याज दर दे.

4. अतिरिक्त लाभ

सिर्फ ब्याज दरों को न देखें ; कुछ अतिरिक्त विशेषताओं के बारे में जानें. इनमें ऑटो-रिन्यूअल विकल्प, फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन की सुविधा, अधिक लिक्विडिटी पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा के साथ और भी कई विशेषताएं शामिल हैं.

कई प्रकार के इन्वेस्टमेंट विकल्प मौजूद हैं, इसके बावजूद फिक्स्ड डिपॉजिट इन्वेस्टर्स के बीच पसंदीदा विकल्प बने हुए हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि एफडी सुरक्षित होने साथ सुनिश्चित रिटर्न की गारंटी देते हैं और इनमें वृद्धि भी स्थिरतापूर्वक होती रहती है. अलग-अलग फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच चयन की सुविधा प्राप्त होने के कारण डिपॉजिटर अपने पैसों के लिए उपयुक्त एफडी चुन पाएंगे.

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