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प्रॉपर्टी पर लोन बनाम पर्सनल लोन - कौन सा बेहतर है?

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ऐसा अक्सर होता है कि हमें अपनी आय और बचत के अतिरिक्त भी पैसों की ज़रूरत पड़ जाती है, आज की बढ़ती ज़रूरतों के दौर में तो ऐसा और भी आम है. वैसे तो इस ज़रूरत को पूरा करने के कई तरीके हैं, पर पर्सनल लोन उन तरीकों में सबसे लोकप्रिय है. ये लोन जल्द सैंक्शन हो जाते हैं और उससे भी जल्द डिस्बर्स हो जाते हैं और इसलिए ये लोन पैसों के बंदोबस्त का एक आकर्षक तरीका हैं. लेकिन, लोन के प्रकार केवल यहीं तक सीमित नहीं हैं. लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (एलएपी) भी ऐसा ही एक फंडिंग स्रोत है जिसके लाभ पर्सनल लोन जैसे ही हैं, पर इसके बारे में लोगों को थोड़ी कम जानकारी है.

लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी फाइनेंशियल संस्थानों से मिलने वाला एक प्रकार का सिक्योर्ड लोन है जिसके लिए व्यक्ति को कोई ऐसी प्रॉपर्टी बतौर सिक्योरिटी रखनी होती है जिसका वह मालिक है या जो किसी होम लोन दायित्व के अधीन है. उस प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करके उसकी प्रचलित मार्केट वैल्यू तय की जाती है और उस वैल्यू के कुछ प्रतिशत अंश को लोन के रूप में डिस्बर्स किया जाता है; इसे लोन टू वैल्यू (एलटीवी) कहते हैं. राशि सैंक्शन करने से पहले कुछ और चीज़ों को भी ध्यान में रखा जाता है, जैसे पुनर्भुगतान की क्षमता, लोन लेने का कारण, इत्यादि. लोन को पहले से तय ब्याज दर पर और पहले से तय अवधि के दौरान समान मासिक किस्तों (ईएमआई) के ज़रिए चुकाया जाता है. कस्टमर विभिन्न कारणों से एलएपी ले सकते हैं, जैसे बच्चों की शादी, बिज़नेस लोन, एजुकेशन लोन और इसी प्रकार के अन्य कारण.

पर्सनल लोन एक प्रकार का लोन है जो किसी बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) से अपनी पर्सनल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए लिया जाता है. पर्सनल लोन लेते समय आय का स्तर, क्रेडिट यानी उधार लेने का और रोज़गार का इतिहास, पुनर्भुगतान क्षमता इत्यादि को महत्वपूर्ण मानदंड माना जाता है. ऐसे लोन अनसिक्योर्ड होते हैं, इसलिए उधारकर्ता को ऐसे लोन लेने के लिए सोना या प्रॉपर्टी जैसे कोई कोलैटरल नहीं रखना होता है.

पर हां, यह ध्यान रखें कि पर्सनल लोन की ब्याज दरें अन्य लोन की तुलना में आम तौर पर अधिक होती हैं क्योंकि ये लोन अनसिक्योर्ड लोन हैं और फाइनेंशियल संस्थान ये लोन देकर अधिक जोखिम उठाते हैं. पर्सनल लोन की अवधि भी लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी की अवधि से आम तौर पर कम होती है.

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आइए दोनों प्रकार के लोन की मुख्य विशेषताओं को विस्तार से जानें:

अधिक अवधि वाला एलएपी बनाम पर्सनल लोन: एलएपी सिक्योर्ड लोन होता है, इसलिए बैंक लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी के एप्लीकेंट के पात्रता मानदंडों, जैसे आयु, आय और अन्य के आधार पर 15 वर्षों तक की लंबी अवधि की पेशकश करते हैं. अवधि लंबी होने से ईएमआई छोटी हो जाती है, जिससे कस्टमर के पास अपने अन्य खर्चों के लिए अधिक आय बचती है. वहीं दूसरी ओर, पर्सनल लोन आम तौर पर बस 5 वर्षों तक की अवधि के साथ मिलते हैं.

स्वीकृत लोन राशि: जब एप्लीकेंट लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (एलएपी) लेता है तो फाइनेंशियल संस्थानों के पास एक भौतिक संपत्ति के रूप में सिक्योरिटी होती है. इसलिए वे बड़ी राशि बतौर लोन देने को तैयार रहते हैं. हालांकि, यह स्वीकृति उचित पड़ताल के और प्रॉपर्टी की मौजूदा वैल्यू और बंधक-योग्यता के अधीन होती है. पर्सनल लोन के मामले में, अधिकतम लोन राशि तुलनात्मक रूप से कम होती है, आम तौर पर ₹15-20 लाख की रेंज में, और मुख्य रूप से व्यक्ति की आय पर निर्भर करती है.

दी जाने वाली ब्याज दरें: दी जाने वाली ब्याज दर एप्लीकेंट की निर्णय प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एलएपी के मामले में, लोन तुलनात्मक रूप से कम ब्याज दर पर मिल जाते हैं, वहीं पर्सनल लोन के मामले में जोखिम अधिक होने के कारण उनकी ब्याज दर अधिक होती है. जैसा हम पहले बता चुके हैं, एलएपी सिक्योर्ड लोन है और इसलिए फाइनेंशियल संस्थान डिस्बर्स की गई राशि पर कम दर से ब्याज लगाते हैं. साथ ही, एलएपी के मामले में फाइनेंशियल संस्थान फ्लोटिंग दर का विकल्प भी देते हैं, जिसका यह मतलब है कि जब ब्याज दरें घटेंगी तो उसका लाभ कस्टमर को भी दिया जाएगा.

पर्सनल लोन का तेज़ डिस्बर्समेंट: पर्सनल लोन के डिस्बर्समेंट में एलएपी से कम समय लगता है क्योंकि एलएपी के मामले में मूल्यांकन की लंबी प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसमें प्रॉपर्टी की वैल्यू तय करना भी शामिल होता है. हालांकि, फाइनेंशियल संस्थानों ने एलएपी के डिस्बर्समेंट में लगने वाला समय काफी घटा लिया है और मौजूदा हालात में वे औसतन 7 दिनों के भीतर एलएपी डिस्बर्स कर देते हैं.

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प्रीपेमेंट की सुविधा: कस्टमर के पास बिना किसी प्रीपेमेंट शुल्क के, एलएपी के कई आंशिक भुगतान करने की सुविधा है, बशर्ते ये भुगतान कुछ नियमों और शर्तों के अनुसार हों. हालांकि पर्सनल लोन के मामले में यह सुविधा कई बार उपलब्ध नहीं होती है.

टॉप-अप लोन सुविधा: अगर कस्टमर पहले ही लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी ले चुका है, लेकिन वह लोन अधिकतम लिमिट तक नहीं है, तो वह फाइनेंशियल संस्थान की ओर से उचित पड़ताल और प्रमाणीकरण के बाद मौजूदा लोन पर टॉप-अप लोन ले सकता है.

वैसे तो एलएपी और पर्सनल लोन, दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, पर एप्लीकेंट सुविधा, दी जा रही ब्याज दर, प्रोसेसिंग में लगने वाले समय और आवश्यक राशि के आधार पर अपना चयन कर सकता है.

लेखक : शाजी वर्गीज़
(लेखक पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर और बिज़नेस हेड हैं)

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